पॉलीटिकल डेस्क
भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशियों की लिस्ट आने के बाद पूरे देश में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। चूंकि मैदान में प्रत्याशी आ गए है तो कई जगह कांटे की टक्कर होती दिख रही है। प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर बनारस से ताल ठोकेंगे तो वहीं अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को स्मृति इरानी टक्कर देंगी। वहीं बागपत में जयंत चौधरी गठबंधन के सहारे भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह को चुनौती देने के लिए तैयार है तो बदायूं में बीजेपी ने संघमित्रा को उतार कर सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को घेरने की कोशिश की हैं। भारतीय जनता पार्टी ने कल अपने 184 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश के 28 सीटों के भी प्रत्याशियों का नाम था। इसमें कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर होने वाली है तो कुछ सीटों पर कोई खास मुकाबला नहीं दिख रहा।
मुजफ्फरनगर बनेगा बड़ी सियासी लड़ाई का गवाह
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की बेहद संवेदनशील लोकसभा सीटों में से एक है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाटलैंड मुजफ्फरनगर इस बार बड़ी सियासी लड़ाई का गवाह बनेगा। सपा-बसपा की तरफ से राष्टï्रीय लोकदल के प्रत्याशी अजित सिंह भाजपा को चुनौती देंगे। इस बार फिर बीजेपी ने संजीव बलियान पर विश्वास दिखाते हुए उन्हें फिर मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में जाट वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है, यही कारण है कि ये लड़ाई कड़ी होने वाली है।
यह चुनाव अजित सिंह की चौधराहट की असली परीक्षा लेगा। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आरएलडी का वोट बैंक पूरी तरफ से बिखर चुका है। वर्ष 2013 में दंगे के बाद ध्रुवीकरण और मोदी लहर में बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट 4,01,135 मतों से जीती थी। अभी आरएलडी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अगर गठबंधन यह सीट निकाल लेता है तो यह चौधरी परिवार की राजनीति के लिए संजीवनी का काम करेगी। इस लिहाज से इस सीट पर पूरे देश की नजर रहेगी। बालियान के लिए भी यह चुनाव आसान नहीं होगा क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जाटों की नाराजगी काफी मुश्किल का विषय बनी थी।
बालियान को मिला था 60 प्रतिशत वोट
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के संजीव बालियान को जीत मिली थी। संजीव कुमार बालियान को 653,391 वोट ( 59 फीसदी) मिले थे। उन्होंने बसपा के कादिर राणा को पराजित किया था। कादिर को 252,241 वोट (22.8 फीसदी) मिले थे। वहीं, तीसरे नंबर पर सपा के विरेंदर सिंह थे जिन्हें कुल 160,810 वोट (14.5 फीसदी)मिले। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर चार बार बीजेपी का कब्जा रहा है। वहीं, अब तक छह बार कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी को एक बार जीत मिली है। एक बार सपा के उम्मीदवार को भी जीत मिली है।
जातीय समीकरण
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 875186 और 713297 महिला मतदाता हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 69.7 फीसदी वोट पड़े थे। इस सीट पर 27 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। जाटों की भी संख्या यहां ज्यादा है। आरएलडी अपने वोट सहेजने और सपा और बसपा के वोट अपने पक्ष में लाने में सफल होती है तो मुजफ्फरनगर सीट पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलेगी।