Tuesday - 29 October 2024 - 1:41 PM

डिप्टी सीएम बनते ही ‘नौ’ गुनाह माफ़

 

जुबिली न्यूज़ डेस्क

सिंचाई घोटाले में फंसे महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को बड़ी राहत मिली है। एंटी करप्शन विभाग ने अजित पवार के खिलाफ घोटाले से जुड़े 9 मामलों की जांच बंद कर दी है। सबूतों के अभाव में इन फाइलों को बंद कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री बनते ही इस घटनाक्रम को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अजित पवार को बीजेपी का साथ देने का ईनाम मिला है।

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा, प्रिय देशवासियों, कृपया Video दुबारा देखिए और सोचिए⬇️ अजित पवार को आर्थर रोड जेल में चक्की पिसवाने का वादा कर सत्ता में आई भाजपा-अजित पवार सरकार ही भ्रष्टाचार के मुक़दमे बंद करने में लगी है। भाजपा के लिए ‘नाजायज़ सरकार हित’ ही ‘जनहित’ बन गया है।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, बेशर्मी और ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से भ्रष्टाचार के मुक़दमे वापस लेने से साफ़ है की BJP अब सही मायनों में ‘भ्रष्टाचार जगाओ पार्टी’ बन गई है। किसानों की सुध लेने की बजाय भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है।

समाजवादी पार्टी के नेता सुनील यादव ने लिखा कि, महाराष्ट्र में असंवैधानिक तरीके से बनी भाजपा सरकार ने विधायक तोड़ने के इनाम के तौर पर अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले का केस खत्म कर दिया है। आतंकियों के फंडिंग करने वालों से चंदा, भ्रष्टाचारियों संग सरकार और बलात्कारियों की रहनुमाई ही #भाजपा का न्यू इंडिया है! अपने इस ट्वीट में उन्होंने पीएम मोदी को टैग भी किया है।

बता दें कि महाराष्ट्र में हुए तकरीबन 76000 करोड़ के सिंचाई घोटाले में अजित पवार मुख्य आरोपी हैं। अजित पवार का नाम महाराष्ट्र के चर्चित सिंचाई घोटाले में सामने आया था। इस मामले में उन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया। अजित पवार के खिलाफ 9 मामलों में एंटी करप्शन विभाग को कोई ठोस सबूत नहीं मिला। उनके खिलाफ सोमवार को 9 मामलों की फाइल बंद कर दी गई।

फिर खुल सकते हैं मामले

महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले से जुड़े 3000 मामले दर्ज हैं। यह मामले अलग-अलग राज्यों में दर्ज हैं। इनमें से अमरावती, बुलढाणा, यवतमाल और वसीम जिलों में दर्ज 9 मामलों की फ़ाइल बंद की गई है। एन्टी करप्शन ब्यूरो के मुताबिक़ जांच के दौरान घोटाले के कोई सबूत न होने की वजह से ये मामले बंद किये जा रहे हैं। सभी मामलों में 9 मामलों की फ़ाइल बंद की गई है। इन मामलों में अजित पवार की सीधी संलिप्तता नहीं है। सबूतों के अभाव में हमने जांच बंद की है। ये 9 मामले ‘conditional cases’ थे, मतलब आगे जब सबूत मिलेंगे, तो इन्हें कोर्ट के निर्देश के बाद फिर से खोला जा सकता है।

क्या है सिंचाई घोटाला

साल 1999 से 2009 तक अजीत पवार के पास सिंचाई मंत्रालय था। इस दौरान मंत्रालय ने करीब 70 हजार करोड़ का खर्च किया था। आरोप लगे थे कि खर्च के अनुपात में काम नहीं हुए। इस मुद्दे पर जब विपक्ष ने हंगामा किया तो मुख्यमंत्री ने अजीत पवार से इस मुद्दे पर श्वेत पत्र लाने को कहा था। आरोप ये भी लगे थे विदर्भ और रायगढ़ जिले में जो डैम बने हैं उनकी कीमत बढ़ा कर प्रस्ताव पास किए गए थे।

सिंचाई विभाग के एक पूर्व इंजीनियर ने तो चिट्ठी लिख कर ये भी आरोप मढ़ दिए थे कि कई ऐसे डैम बनाए गए जिसकी जरूरत नहीं थी और वो नेताओं के दबाव में बनाए गए थे। इंजीनियर ने ये भी लिखा था कि कई डैम कमजोर बनाए गए हैं।

यह भी पढ़ें : संन्यास पर माही से बात करेंगे दादा

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- कांग्रेस चाहती तो…

यह भी पढ़ें : एमपी में भी कर्नाटक जैसे नाटक की तैयारी!

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com