अविनाश भदौरिया
देवरिया विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव में रोज नए-नए मोड़ देखने को मिल रहे हैं। इस सीट पर होने वाला चुनाव बड़ा ही रोचक हो गया है। जिले के इतिहास में यह पहला मौका है जब चार प्रमुख दलों से ब्राह्मण, वह भी सभी त्रिपाठी ही चुनाव में अपना-अपना भाग्य आजमा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि, जीतेगा तो त्रिपाठी ही।
लेकिन अब दिवंगत विधायक जन्मेजय सिंह के पुत्र ने अजय कुमार सिंह ने निर्दल चुनाव लड़ने की घोषणा कर इस मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है।
भाजपा का टिकट न मिलने से क्षुब्ध अजय कुमार सिंह ने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान पर उतरने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि, ‘भाजपा ने मेरे साथ विश्वासघात किया है। पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने पिता के निधन के बाद आश्वासन दिया था कि मुझे उपचुनाव में मौका देंगे लेकिन ऐन वक्त पर मुझे धोखा मिला और मेरा टिकट काट दिया गया।’
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सिंह ने कहा कि, ‘पिता की अंतिम इच्छा थी कि मै देवरिया से चुनाव मैदान में उतरूं और उनकी इच्छा जरूर पूरी होगी। भाजपा ने पिछड़ों की उपेक्षा की है,जिसका खामियाजा उसको भुगतना पड़ेगा। मैं अपने निर्णय से पीछे नहीं हटूंगा।’
बता दें कि भाजपा विधायक जन्मेजय सिंह के निधन के कारण ही देवरिया सदर विधानसभा सीट पर चुनाव हो रहा है। जन्मेजय सिंह तीन बार विधायक रहे। पहली बार वर्ष 2000 में भाजपा के विधायक रहे श्रीनिवास मणि उर्फ श्री बाबू के निधन के बाद हुए उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर गौरी बाजार विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। उसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी से नाता तोड़कर 2005 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
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परिसीमन के दौरान गौरी बाजार विधानसभा क्षेत्र का नाम बदल कर देवरिया विधानसभा क्षेत्र कर दिया गया। इस दौरान वर्ष 2012 भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। उसके बाद फिर वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और तीसरी बार विधायक निर्वाचित घोषित किए गए। पिछड़ी जाति में जन्मेजय सिंह कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। इस वजह से भारतीय जनता पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत थी।
क्या है इस सीट का जातीय गणित
देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल है। सदर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। दूसरे नंबर पर वैश्य मतदाता हैं। इनकी संख्या 45-50 हजार बताई गई है। यादव मतदाता 25-30 हजार और मुस्लिम 20-25 हजार हैं। निषाद मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहते हैं। इनकी संख्या 20-22 हजार बताई गई है।
वहीं क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या भी 18-20 हजार है। मौर्या-कुशवाहा मतदाता 15-16 हजार हैं। सैंथवार 12-13 हजार, राजभर 8-10 हजार और चौरसिया समाज के 8-10 हजार मतदाता हैं। अलग-अलग समाज के और भी मतदाता हैं। जिला निर्वाचन आयोग की सूची में बुधवार तक 3.34 लाख 177 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। यही सभी राजनीतिक दल व उनके प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
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