न्यूज़ डेस्क।
बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक 130 बच्चों की मौत हो चुकी है, साथ ही अभी भी हर रोज मौतें हो रही हैं।
Bihar: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 130 in Muzaffarpur. 110 died at SKMCH and 20 died at Kejriwal Hospital. pic.twitter.com/YhgssTCZt9
— ANI (@ANI) June 23, 2019
इस बीमारी से हर साल बच्चों की मौत होती हैं लेकिन अब तक इसका इलाज नहीं खोजा जा सका है। इस बीमारी का इलाज खोजने के लिए अब दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स को जिम्मेदारी दी गई है।
एम्स में शुरू होने वाली इस रिसर्च में ‘अज्ञात श्रेणी’ में रखे गए चमकी बुखार के वास्तविक कारणों को पता लगाया जाएगा।
एम्स की एक प्रफेसर ने बताया कि, इस अध्ययन में एईस के आलावा डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, दाद, जापानी बी एन्सेफलाइटिस, निमोनिया, मेनिन्जाइटिस, ई कोलाई, एच इन्फ्लूएंजा, जैसे वायरस का अध्ययन किया जाएगा।
इस अध्ययन में क्रोनिक एन्सेफलाइटिस/ एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम जो 1 महीने से 18 साल की उम्र तक के बच्चों को प्रभावित करता है, उस पर ध्यान केंद्रित होगा।
एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अगले महीने एम्स में शुरू होने वाली इस रिसर्च को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड ने सीएसआर गतिविधि के हिस्से के रूप में वित्त पोषित किया है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस्ड रिसर्च फॉर चाइल्डहुड न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर, एम्स, इन तीव्र और उप-तीव्र एईएस सिंड्रोम के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए रिसर्च की देखरेख करेगा।