जुबिली न्यूज़ डेस्क
जगदलपुर। शहरी संस्कृति और यहां पर विकास की तीव्र गति से चलने वाली योजनाओं से एचआईवी का लगातार खतरा बढ़ रहा है और यदि इसे नहीं रोका गया तो बस्तर में यह बीमारी संक्रामक रोग बन सकती है। इस संबंध में यह भी विशेष तथ्य है कि 10 वर्ष पूर्व कुछ और स्थिति थी और एचआईवी की स्थिति और अधिक बढ़ी है।
कई एचआईवी पीडि़त तो अपना उपचार कराने अस्पताल तक नहीं पहुंचते हैं। इधर उधर अपना उपचार करा वे कब इस संसार से विदा हो जाते हैं इसकी जानकारी शासन तक नहीं पहुंच पाती है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 के बाद यहां पर इस बीमारी की रोकथाम के लिए शासन द्वारा कदम उठाया गया था और उस समय से अब तक एचआईवी पीडि़तों की संख्या अब 1000 से अधिक हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि उनके पास जांच कराने आये कई लोगों में एचआईवी के लक्ष्ण मिलते हैं लेकिन वे अपना उपचार कराने के बजाय अन्यत्र चले जाते हैं।
वर्तमान में इस समय एचआईवी पीडि़तों की संख्या 1000 से अधिक है। जबकि वर्ष 2003 में मात्र तीन ही मरीज एचआईवी पीडि़त पाये गये थे। यह भी एक विशेष तथ्य है कि महिला व पुरूषों की एचआईवी पीडि़त संख्या लगातार एक समान बढ़ रही है और इसके मरीजों की संख्या भी प्रतिवर्ष बढ़ रही है। अब वर्ष में 100 से अधिक एचआईवी पॉजीटिव से ग्रस्त मरीज आ रहे हैं।
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के एआरटी प्रभारी मुकुंद दीवान ने जानकारी दी कि एचआईवी से बचने के लिए जागरूकता आवश्यक है और स्वस्थ्य संबंधों की जरूरत है। इस दिशा में लोगों के मध्य जागरूकता फैलाई जा रही है।
यह भी पढ़ें : पीसीएस की परीक्षा से अरबी-फारसी समेत 5 विषय हटाए गए
यह भी पढ़ें : मंदिर ही है असली ‘ब्रह्मास्त्र’