प्रीति सिंह
जितनी चर्चा उत्तर प्रदेश की सियासत की होती है, उतनी दक्षिण की नहीं होती। भले ही दक्षिण राजनीति का केंद्र बिंदु न हो लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से दक्षिण का आंध्र प्रदेश और वहां के सीएम जगन मोहन रेड्डी लगातार चर्चा में बने हुए है।
‘जनता का नायक’, ‘जनता का नेता’ जैसे कई उपाधि से नवाजे गए जगन ने अपनी राजनीति से पूरे देश को चौका दिया था। आंध्र प्रदेश में जगन को जिस तरह जनसमर्थन मिला वैसा विरले नेताओं को मिलता है।
लोकसभा चुनाव और राज्य की विधानसभा चुनाव में अपना डंका बजाने वाले जगन सत्ता संभालने के बाद से किसी और वजह से चर्चा में बने हुए हैं। वह अपने कामकाज से ज्यादा अपनी पुरानी अदावत की वजह से सुर्खियों में है।
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कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। एक दौर में टीडीपी प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने सबसे बड़े दुश्मन वाईएस राजशेखर के बेटे जगन को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़े।
वाईएस राजशेखर की मृत्यु के बाद अकेले पड़े जगन की राजनीतिक विरासत समाप्त करने की पूरी कोशिश की। लेकिन जगन की जिद और जुनून ने उन्हें वहां लाकर खड़ा कर दिया है जहां उन्हें चुनौती देने के लिए उनके आस-पास कोई नहीं खड़ा है।
खुलकर खेल रहे हैं जगन
सत्ता में आने के बाद से जगन के निशाने पर लगातार नायडू हैं। जगन के एक के बाद एक फरमान से नायडू संभलने का मौका नहीं पा रहे हैं। एक ओर पार्टी में उथल-पुथल मची हुई है तो वहीं दूसरी ओर जगन की फरमान से नायडूू हलकान हैं।
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मुख्यमंत्री जगन बिना किसी लागलपेट के खुलकर खेल रहे हैं। उन्हें किसी का डर नहीं है। ऐसी चर्चा उसी दिन से शुरु हो गई थी जब चंद्रबाबू नायडू को एयरपोर्ट पर तलाशी से गुजरना पड़ा था और उन्हें जहाज तक जाने के लिए सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया था।
वह आम लोगों के साथ बस में सवार होकर गए थे। उसी समय तेदेपा ने जगन पर बदले की राजनीति का आरोप लगाया था।
नायडू पर घर छिनने का खतरा मंडराया
पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने घोषणा की थी कि कृष्णा नदी के किनारे बनी सभी अवैध इमारतों को ढहा दिया जाएगा। इस सिलसिले की शुरूआत भी हो चुकी है। चर्चा है कि सरकार ने जिन 20 इमारतों को अवैध घोषित किया है उनमें चंद्रबाबू नायडू का मौजूदा बंगला भी है, जिसमें वह अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
26 जून को सरकार ने चंद्रबाबू नायडू के बंगले से लगी ‘प्रजा वेदिका’ इमारत को ढहा दिया था। लगभग आठ करोड़ रुपए की लागत से बनी इस इमारत का इस्तेमाल चंद्रबाबू पार्टी की बैठकों, कार्यकर्ताओं से मुलाकातों और सरकारी कामकाज के लिए किया करते थे।
अब चंद्रबाबू नायडू के बंगले पर भी नोटिस चस्पा कर दिया गया है। एक सप्ताह के भीतर उन्हें घर खाली करना है।
कृष्णा नदी से महज 100 मीटर की दूरी पर छह एकड़ में बने इस बंगले में हेलीपैड, स्वीमिंग पूल जैसे अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। लगभग 10 अस्थायी शेड भी बने हैं। इमारत की पहली मंजिल पर नायडू परिवार रहता है।
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बताया जाता है कि नायडू ने कुछ दिन पहले ही जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर ‘प्रजा वेदिका’ को नेता प्रतिपक्ष का सरकारी आवास घोषित करने की मांग की थी, लेकिन राज्य सरकार उनकी बात नहीं मानी।
नायडू के परिजनों की सुरक्षा में की गई कमी
इससे पहले 25 जून को मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू के परिवार की सुरक्षा कम करने का फैसला लिया था। रेड्डी सरकार ने उनके बेटे और पूर्व राज्य मंत्री नारा लोकेश से जेड श्रेणी की सुरक्षा को वापस ले लिया है।
अब नारा लोकेश की सुरक्षा 5+5 से घटाकर 2+2 कर दी गई। साथ ही चंद्रबाबू के परिवार के अन्य सदस्यों की सुरक्षा भी वापस ले ली गई है।
बदले की राजनीति का आरोप
सरकार की कार्रवाई से तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता व कार्यकर्ता काफी नाराज है। तेदेपा नेता और कार्यकर्ता तीखी प्रतिक्रिया व्यक्तकरते हुए भाजपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर बदले की राजनीति का आरोप लगा रही है।
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि कोई नेता सत्ता का इस्तेमाल अपनी अदावत के लिए कर रहा है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा की दुश्मनी को कौन भूल सकता है।
जो सत्ता में काबिज रहा उसने दूसरे के किए कार्यों पर जांच बिठाने से लेकर घोटाले को उजागर किया। अब तो सत्ता का इस्तेमाल खुलकर राजनीतिक दुश्मनों को नेस्ताबूत करने में किया जा रहा है।