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तालाब पुर्नरूद्धार से जल गांव में तबदील हुआ अगरौठा

रूबी सरकार

छतरपुर जनपद के बड़ामलहरा ब्लॉक में अगरौठा गांव जल संकटग्रस्त गांव के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2010 में बुन्देलखण्ड पैकेज के माध्यम से 1 करोड की लागत से अगरौठा गांव में तालाब/ बंध का निर्माण किया गया है। जिससे सिंचाई के लिए एक नहर निकाली गई। तालाब निर्माण के समय काफी ऊंचाई के बंध निर्माण तो कर दिये गये लेकिन तालाब में कैचमेंट ना होने कारण हजार मिलीमीटर वर्षा होने के बाद भी यह तालाब पिछले 10 वर्षो में नहीं भरा, जिसके कारण तालाब का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा था।

अगरौठा गांव जंगल में स्थित है। 3 वर्ष पहले बुन्देलखण्ड में जल संरक्षण पर कार्य करने वाली परमार्थ संस्था द्वारा इस गांव में कार्य प्रारम्भ किया गया तो गांव वालों ने बताया कि उनके गांव में गम्भीर जल संकट है। जिसके कारण खरीफ की फसल तो वर्षा आधारित होने के कारण हो जाती है रबी की फसल में सिंचाई का संकट हो जाता है। जिसके कारण लोग गेंहूं की फसल ठीक से नहीं ले पाते है। खेती ना होने के कारण इस गांव में अत्यधिक पलायन भी है, इसको देखते हुए गांव के स्तर पर एक पानी पंचायत समिति का निर्माण किया गया।

पानी पंचायत समिति एवं परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने मिलकर कम लागत के 3 चैकडेम, 2 आउटलेट, 5 कुआभरण का कार्य किया गया जिससे 44 किसानों को सिंचाई का फायदा मिला। कुओं का जल स्तर ऊपर आया, लेकिन यह गांव के एक इलाके में।

गांव के किसानों को हमेशा एक कसक बनी रही कि उनका इतना बडा तालाब जिसपर सरकार ने आज से दस साल पहले बुन्देलखण्ड पैकेज से 1 करोड रूपये खर्च किये, जो कभी पूरी तरह से नहीं भर पाता है। जिसका प्रमुख कारण तालाब में पानी आने के रास्ते कम होना।

पानी पंचायत समिति लगातार इस समस्या के समाधान के लिए अपनी बैठकों में चर्चा करती रही, इस वर्ष लॉकडाउन के दौरान इस गांव में 100 से अधिक प्रवासीय मजदूर वापस आये है। इन सबके साथ चर्चा के बाद तय किया गया कि क्या काम किया जाये, तो गांव के लोगों ने अपने तालाब को ठीक करने का निश्चय किया।

तालाब की प्रमुख समस्या जल भराव कम होना तथा सीपेज की थी। सबसे पहले पानी पंचायत ने परमार्थ संस्था के सहयोग से तालाब को सीपेज ठीक किया, साथ ही वन विभाग के सहयोग से तालाब के बाहर से बहकर जाने वाले नाले के पानी को मात्र एक लाख रूपये में 95 मीटर लम्बी, 15 मीटर गहरी, 13 मीटर चोडी नहर खोदकर पहाडी काटकर इस तालाब में लाया गया है। अगरौठा तालाब का क्षेत्रफल 70 हैक्टेयर से अधिक है।

परमार्थ संस्था द्वारा नदी पुर्नजीवन के लिए चलाये जा रहे अभियान में इस क्षेत्र की बछेडी नदी के पर स्थित इस गांव को जल ग्राम बनाने का कार्य किया गया है, जिसके लिए समुदाय को वाटर बजटिंग, वाटर ऑडिटिंग, कम पानी की फसलों के प्रशिक्षित किया गया है।

इस तालाब के भरने से 3 हजार हैक्टेयर में सिंचाई होगी, यह बात गांव के जगत लोधी कहते है। बबीना राजपूत बताती है कि तालाब से ना केवल उनके गांव में सिंचाई होगी बल्कि उनके पडोसी भेल्दा, चैधरीखेरा भौयरा गांव में भी सिंचाई होगी।

पानी पंचायत की जल सहेली किरन कहती है कि तालाब के भरने से उनके गांव में जल संकट कम होगा, वर्तमान में उनके गांव में एक ही हैण्डपम्प ठीक से पानी दे रहा है। नन्नी बताती है कि तालाब में पानी रहने से आजीविका के कई संसाधन विकसित होगे।

पानी पंचायत के सदस्य रामरतन कहते है कि सरकार का इतना बडे बजट से तैयार किया गया, तालाब जो ठीक से नहीं भर पा रहा था, समुदाय के लोगों ने संस्था के साथ मिलकर इस तालाब में 300 हैक्टेयर क्षेत्रफल का पानी लाने का भागीरथी प्रयास किया है, अब वह तालाब के आस-पास सघन वृक्षारोपण का कार्य करेगे और अपने गांव को पूरे बुन्देलखण्ड में जल ग्राम बनाया है। बरसात के एक-एक बूंद पानी को रोकने के लिए किसान छोटी, छोटी संरचनाऐं स्वयं के स्तर से तैयार कर रहा है।

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