जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के नाम एक खुला पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया है कि सरकार उनका हित चाहती है।
कृषि मंत्री ने अपने खुले पत्र में विवाद का केंद्र बने हुए तीनों नए कृषि कानूनों की आलोचना के सभी बिंदुओं को झूठा और भ्रामक बताते हुए सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है।
कृषि मंत्री के अनुसार एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी, एपीएमसी मंडियां कायम रहेंगी, क्योंकि वे इस कानून की परिधि से बाहर हैं और किसानों की जमीन भी सुरक्षित है क्योंकि एग्रीमेंट फसल के लिए होगा ना कि जमीन के लिए।
कृषि मंत्री तोमर ने पत्र में यह भी लिखा है कि कॉन्ट्रैक्टरों को किसान की जमीन हथियाने नहीं दिया जाएगा, किसानों को सही मूल्य मिलेगा क्योंकि एग्रीमेंट में जो भी मूल्य दर्ज होगा वही किसानों को मिलेगा।
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पत्र में लिखा है कि उस मूल्य का भुगतान भी तय समय सीमा के भीतर होगा और किसान किसी भी समय बिना किसी जुर्माने के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म भी कर सकते हैं।
तोमर ने पत्र में यह भी लिखा है कि इन कानूनों को लेकर देश में दो दशकों तक विचार-विमर्श हुआ है और उसके बाद ही इन्हें लागू किया गया है।
कृषि मंत्री की इस अपील को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी साझा किया है। ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब इन्हीं बिंदुओं के साथ देश के अलग-अलग कोनों में सरकार का संदेश ले जाने के प्रयास शुरू करेगी।
सभी किसान भाइयों और बहनों से मेरा आग्रह !
“सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास” के मंत्र पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बिना भेदभाव सभी का हित करने का प्रयास किया है। विगत 6 वर्षों का इतिहास इसका साक्षी है।#ModiWithFarmers pic.twitter.com/Ty6GchESUG
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 17, 2020
हालांकि कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर की अपील में प्रदर्शनकारियों की आलोचना भी थी। विपक्षी दलों और कुछ “संगठनों द्वारा रचे गए कुचक्र” के बारे में किसानों को सावधान करते हुए उन्होंने लिखा है, “इन लोगों ने किसानों को राजनीति की कठपुतली बनाने का प्रयास किया है।”
तोमर ने यह भी लिखा है कि सैनिकों को आवश्यक रसद पहुंचने से रोकने वाले किसान नहीं हो सकते।
फिलहाल इस बीच किसानों ने अपना कड़ा रुख जारी रखा हुआ है और वे अपने प्रदर्शन को नए नए आयाम भी दे रहे हैं। अब आंदोलन के स्थल से ही कुछ युवा किसान मिलकर आंदोलन को सोशल मीडिया पर ले आए हैं और ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसी सेवाओं पर ‘किसान एकता मोर्चा’ नाम से खाते खोल दिए हैं।
Thanks alot for coming up in support of farmers @ReallySwara #DigitalKisan #DigitalKisanMorcha pic.twitter.com/5uzO6fxbOe
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) December 18, 2020
युवा किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी आवाज सोशल मीडिया पर पहुंचाने की जरूरत इसलिए भी महसूस हुई क्योंकि सोशल मीडिया पर कई लोग उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश में दिन-रात लगे हुए हैं।
पिछले कई दिनों से बीजेपी से जुड़े कई सोशल मीडिया अकाउंट किसान आंदोलन के बारे में कई तरह की बातें कर रहे हैं। बीजेपी के आईटी विभाग के राष्ट्रीय इन-चार्ज अमित मालवीय ने कई ट्वीटों में प्रदर्शन कर रहे किसानों को लखपति और करोड़पति बताया है।
Fascinating profile of those behind the stir!
Meet Sardar V M Singh of All India Kisan Sangharsh Samiti. Contested Pilibhit on Congress ticket in 2004 (against Maneka Gandhi) and 2009 (opposite Varun Gandhi). Lost every time. Had declared net worth of 632 crore back (2009) then! pic.twitter.com/f9TG726mfc
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 13, 2020
स्पष्ट है कि अभी तक सरकार और सत्तारुढ़ बीजेपी आंदोलन को शांत कराने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम कर रही थी, लेकिन अब किसानों ने भी हर मोर्चे पर टक्कर देने की ठान ली है।
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