जुबिली न्यूज डेस्क
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह से जुड़े मामलों की पड़ताल कर रही जांच एंजेसियों के पास उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। परमबीर सिंह आखिर कहां है यह एजेंसियों को नहीं मालूम।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश सरकार या जांच एजेंसियों को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह के ठिकाने की कोई जानकारी नहीं है।
परमबीर सिंह के रूस में होने की अफवाहों पर बात करते हुए गृहमंत्री पाटिल ने कहा कि सिंह को जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों की तरफ से कई बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं लेकिन वह पेश नहीं हुए हैं, अब उनके खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है।
पाटिल ने कहा कि परमबीर सिंह के बारे में सुना है कि वह देश से बाहर हैं। लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि सरकारी अधिकारी होने के नाते वह बिना सरकारी मंजूरी के विदेश नहीं गए होंगे।
उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके ठिकानों की तलाश की जा रही है। हमने लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है लेकिन वह देश छोड़कर भाग गए हैं तो यह अच्छी बात नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परमबीर सिंह आखिरी बार अप्रैल महीने में देखे गए थे और सरकार ने उनसे अगस्त महीने में आखिरी बार बात की थी। सुनवाई के दौरान उनके वकील पेश हो रहे थे।
मालूम हो कि परमबीर सिंह का नाम एंटीलिया मामले में सामने आने के बाद उन्हें होमगार्ड डिपार्टमेंट में भेज दिया गया था। 22 मार्च को परमबीर सिंह ने अपना पदभार संभाला था लेकिन 5 मई से वह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर छुट्टी पर चले गए थे और इसके बाद वह अपनी छुट्टी लगातार बढ़ाते चले गए।
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नोटिस भेजने के बाद जब वह हाजिर नहीं हुए तो अधिकारियों ने परमबीर सिंह के मुंबई, चंडीगढ़ और रोहतक स्थित आवासों का दौरा किया, लेकिन वह वहां नहीं मिले। फिर उनका फोन लगाया गया तो वह भी स्विच ऑफ मिला है।
गृह मंत्री ने कहा कि एक सरकारी अधिकारी होने के नाते परमबीर बिना जानकारी के देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं, अगर ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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मालूम हो कि परमबीर सिंह के खिलाफ 5 मामले दर्ज हैं, जिसमें से एक की जांच मुंबई पुलिस, एक की ठाणे पुलिस और बाकी के तीन मामलों की जांच स्टेट सीआईडी कर रही है।
परमबीर सिंह महाराष्ट्र में उस समय सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल देशमुख पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद हुए सियासी बवाल के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था।