ओम दत्त
59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद, अब चीनी सरकार के स्वामित्व वाले रेडिसन और सरोवर होटल श्रृंखलाएं, जो विभिन्न भारतीय शहरों में चल रही हैं, जांच के दायरे में आ गई हैं, क्योंकि इन्हें भी संभावित सुरक्षा खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इन होटलों पर सख्त होने की योजना से चीन को एक और झटका लग सकता है।
पूरे भारत में 94 से अधिक रेडिसन होटल की श्रृंखला चल रही है जबकि चीनी सरकार के स्वामित्व वाला सरोवर समूह, विभिन्न भारतीय शहरों में 70 से अधिक होटल्स का संचालन कर रहा है। खुफिया प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, इन होटलों के विभिन्न प्रणालियों में एकत्र किए गए भारत और विदेशों के ग्राहकों के सभी डेटा का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
पहले से ही, चीनी कंपनियों की एक बड़ी संख्या पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ उनके कथित संबंधों के लिए रडार में है। सबसे अधिक चिंता का कारण दक्षिण ब्लॉक और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के मुख्यालय को लेकर है।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, इन होटलों में दिये जा रहे वाई फाई की सुविधा,आन लाइन भुगतान,ई फार्म की फिलिंग जैसी विभिन्न सेवाओं के माध्यम से एकत्र किए गए भारत और विदेशों के ग्राहकों के सभी डेटा का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक गुप्तचर अधिकारी के अनुसार रेडिसन और सरोवर समूह के होटलों में सरकारी एजेंसियों को इनकी सेवाओं का उपयोग करना सुरक्षा प्रतिष्ठानों को खतरे में डाल सकता है । इसी तरह, कुछ बड़े कॉरपोरेट घरानों के भी डेटा एकत्र किये जा सकते है।
सूत्रों के अनुसार, अगर सरकार को डेटा सुरक्षा की गारण्टी नहीं मिलती है तो सरकार रेडिसन पर सख्त हो सकती है। हांलांकि तमाम जानकारी- नाम, पते, निवास के देश, ईमेल ऐड्रेस, कंपनी के नाम, फोन नंबर आदि से समझौता होने का खतरा है।
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अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस मामले पर अपने दूतावासों और उच्चायोगों को सतर्क कर दिया है।
रेडिसन होटल श्रृंखला की स्थापना अमेरिका में हुई थी। लेकिन एक चीनी कंपनी जिन जी-एंग इंटरनेशनल ने खरीद लिया था। इसी कॉम्पनी को सरोवर होटलों का भी स्वामित्व मिला। जिन जी-एंग इंटरनेशनल वास्तव में चीनी सरकारी कंपनी है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शंघाई शाखा जिन जियांग के माध्यम से होटल श्रृंखलाओं में बहुमत हिस्सेदारी रखती है।