न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सेबी द्वारा सूचीबद्ध बैंकों को फंसे कर्ज की जानकारी देने का आदेश का 24 घंटे में ही पालन हो गया। तीन बैंकों लक्ष्मी विलास बैंक, इंडियन बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मार्च 2019 में खत्म हुए वित्त वर्ष में अपने फंसे कर्ज के बारे में बताया है। सेबी के आदेश से पहले बैंक अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी देते थे।
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सेबी ने सूचीबद्ध बैंकों से कहा था कि संकट में फंसे कर्जों (बैड लोन) के लिए प्रावधान एक सीमा से ऊपर होने के बाद जोखिम आकलन रिपोर्ट मिलने के बारे में 24 घंटे के भीतर इसका खुलासा करना होगा। यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बैंकों को जारी की जाती है।
गौरतलब है कि बीते एक अरसे से देश का बैंकिंग उद्योग संकट में फंसे कर्जों की समस्या से जूझ रहा है और कई बैंकों का एनपीए तो खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है। सेबी ने एक सर्कुलर के माध्यम से कहा कि यह फैसला आरबीआई के साथ परामर्श के बाद लिया गया है।
इस क्रम में बाजार नियामक ने फैसला किया कि आरबीआई द्वारा उल्लिखित सीमा से ऊपर विचलन या प्रावधान होने की स्थिति में सूचीबद्ध बैंकों को जल्द से जल्द खुलासा करना होगा और यह अवधि आरबीआई की अंतिम जोखिम आकलन रिपोर्ट (आरएआर) मिलने के बाद 24 घंटे से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
साथ ही बैंकों को इसके लिए अपने वार्षिक वित्तीय नतीजों का भी इंतजार नहीं करना चाहिए। आरबीआई के बयान के मुताबिक यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
इन तीन बैंकों का फंसा कर्ज
इंडियन बैंक ने कहा है कि उसके एनपीए में से कुल 820 करोड़ रुपए का कर्ज फंसा हुआ है। वहीं यूनियन बैंक ने 998.70 करोड़ रुपए फंसे होने की जानकारी दी है। लक्ष्मी विलास बैंक का पिछले वित्त वर्ष में 54.9 करोड़ रुपए फंसा हुआ था।
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