जुबिली न्यूज डेस्क
श्रीलंका के बाद अब भारत के पड़ोसी देश नेपाल में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरें आ रही है। नेपाल सरकार ने विलासिता की वस्तुओं के आयात पर सख्ती शुरू कर दी है।
अधिकारियों ने कहा कि नेपाल राष्ट्र बैंक के मुताबिक, देश के पास फिलहाल 9.75 बिलियन डॉलर का रिजर्व है, जो 6 से सात महीने के लिए जरूरी चीजों के आयात के लिए काफी है।
नेपाल की ताजा मौद्रिक नीति में कहा गया है कि कम से कम 7 महीने के आयात का खर्च उठाया जा सकता है। फिलहाल नेपाल सरकार अपनी तिजोरी से विदेशी मुद्रा को देश से बाहर नहीं जाने देने की नीति पर चल रही है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि मौद्रिक भंडार बनाए रखने के लिए आयात पर सख़्ती और विदेशी मुद्रा कमाने पर ध्यान देना जरूरी है।
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दूसरी ओर, नेपाल के सेंट्रल बैंक ने कहा कि मौजूदा समस्या आयात खर्च बढ़ जाने के कारण आई है क्योंकि अन्य देशों से सामान खरीदने के लिए नेपाल को डॉलर में भुगतान करना पड़ता है।
नेपाल राष्ट्र बैंक के मुताबिक, देश के विदेशी मुद्रा भंडार का एक मुख्य स्रोत विदेशों से भेजे जाने वाला पैसा (रेमिटेंस) है। नेपाल की जीडीपी में इसका योगदान 22 प्रतिशत है।
सेंट्रल बैंक के प्रवक्ता गुणाकर भट्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद पिछले साल रेमिटेंस की अच्छी आमद हुई थी। पर्यटन नेपाल के लिए विदेशी मुद्रा का एक अन्य प्रमुख स्रोत है।
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नेपाल जाने वाले विदेशी डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा खर्च करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पर्यटन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ा है।
नेपाल जब दूसरे देशों से सामान खरीदता है तो उसे डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। इसी कारण से लगता है कि वर्तमान सरकार ने विलासिता की वस्तुओं के आयात पर नकेल कसने की नीति अपनाई है।