Wednesday - 6 November 2024 - 9:26 AM

लोकसभा के बाद राज्‍यसभा में भी मोदी को मिलेगा बहुमत

न्‍यूज डेस्‍क 

लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अगला मिशन राज्यसभा में बहुमत पाने का है।  बीजेपी और उसके नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में अल्पमत की स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहा है, जिसने पिछली एनडीए सरकार के कुछ विधेयकों को राज्यसभा से पास होने में बाधा उत्पन्न की।

राज्यसभा में पूर्ण बहुमत से एनडीए को विधि निर्माण करने में अपेक्षाकृत आसानी होगी, जो पिछले कई सालों से कानून बनाने के मामले में एनडीए के लिए बड़ी बाधा बना हुआ है। ट्रिपल तलाक, मोटर वेहिकल एक्ट और सिटीजनशिप एक्ट में सुधार जैसे अहम बिल राज्यसभा में एनडीए के बहुमत न होने के कारण पास नहीं हो सके हैं।

अभी एनडीए के सांसदों की संख्या 101 

पिछले साल, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस को पीछे छोड़कर राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। 245 सीटों वाले उच्च सदन में एनडीए के सांसदों की संख्या 101 है। एनडीए को स्वप्न दासगुप्ता, मैरी कॉम व नरेंद्र जाधव और तीन स्वतंत्र सांसदों का भी समर्थन प्राप्त है।

2020 की शुरुआत में यूपीए द्वारा मनोनीत केटीएस तुलसी रिटायर हो जाएंगे, तो एनडीए को उनकी जगह अपनी पसंद के एक सांसद को मनोनीत करने का भी अवसर मिल जाएगा।

15 सालों में भारत की पहली ऐसी सरकार

नवंबर 2020 में एनडीए को 19 राज्यसभा सीटें और मिल जाएंगी। इनमें से ज्यातादर उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, गुजरात और मध्य प्रदेश से मिलेंगी। इन राज्‍यों की सीटों को जीतने के बाद गठबंधन की राज्यसभा में 125 सीटे हो जाएंगी, जबकि इस सदन में बहुमत के लिए केवल 123 सीटें चाहिए। उसके बाद पिछले 15 सालों में यह भारत की पहली ऐसी सरकार होगी जिसका देश के उच्च सदन में बहुमत होगा।

इनमें से अधिकतर सीटें उत्तर प्रदेश से आएंगी जहां विधानसभा में अधिकतम सीटें 403 हैं और बीजेपी ने 310 सीटें जीती हैं। पार्टी को 6 सीटें तमिलनाडु से भी मिलेंगी जिसके लिए पार्टी AIADMK को धन्यवाद ज्ञापित करेगी। पार्टी को तीन सीटें असम से, दो राजस्थान से और शायद एक सीट ओडिशा से भी मिल सकती है। ओडिशा की एक सीट के लिए भाजपा बीजेडी पर निर्भर रहेगी।

बीजेपी को एक-एक सीटें कर्नाटक, मिजोरम, मेघालय, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से भी मिलेंगी, जबकि पार्टी को राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से कुछ सीटों का नुकसान भी होगा।

2020 तक 75 राज्यसभा सीटों पर निर्वाचन

इसी साल के आखिरी महीनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा के चुनाव होंगे। यदि इन राज्यों में बीजेपी गठबंधन (एनडीए) बेहतर प्रदर्शन करता है तो इससे एनडीए का आधार 2020 के नवंबर तक सदन के उच्च सदन में मजबूत हो जाएगा। अभी से लेकर नवंबर 2020 तक 75 राज्यसभा सीटों पर निर्वाचन कराया जाएगा।

गौरतब है कि पिछले पांच सालों में एनडीए के बड़े नेताओं और प्रबंधकों के लिए राज्यसभा में बहुमत न होना एक सरदर्द की तरह रहा है। इसी कारण से भूमि अधिग्रहण बिल को राज्यसभा में नहीं पेश किया गया क्योंकि सभी गैर एनडीए विरोधी दलों ने एक सुर में इस बिल का विरोध किया था। ट्रिपल तलाक को अपराध बनाने वाले बिल को संसद की स्वीकृति नहीं मिल पाई क्योंकि विपक्ष को इस पर बहस तक मंजूर नहीं था।

कैसे होता है निर्वाचन

बतात चले कि लोकसभा के सदस्यों की तरह राज्यसभा के सांसदों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से वोटरों के द्वारा नहीं किया जाता है, बल्कि उनका निर्वाचन राज्यों के निर्वाचित विधायकों के द्वारा किया जाता है, जिस पार्टी के पास जितने अधिक विधायक होंगे, वह उतने ही अधिक सांसदों को राज्यसभा में भेज सकती है।

राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जबकि निचले सदन लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। सबसे अहम बात यह है कि राज्यसभा के सभी सदस्य एक साथ नहीं चुने जाते हैं, जैसे लोकसभा में चुने जाते हैं।

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