सैय्यद मोहम्मद अब्बास
कहते हैं सपने देखने का हक सबको होता है लेकिन ये जरूरी नहीं है हर सपना पूरा हो जाये। अक्सर लोग अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने टारगेट को हासिल कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे हॉकी खिलाड़ी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपनी जिंदगी में गरीबी और बेबसी दोनों को बेहद करीब से देखा है देखा लेकिन इसके बावजूद उसके हौसले इतने बुलंद थे कि आज उसकी उड़ान देखते ही बनती है।
उस बच्चे का दिल क्रिकेट पर नहीं आया बल्कि हॉकी जैसे खेल को अपनी जिंदगी में ऐसा उतारा जैसे मानों उसके लिए अब ये खेल ही सबकुछ है।
वो ऐसी स्थिति में जब उसके परिवार को दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती थी लेकिन अब उसने अपनी हॉकी के सहारे दुनिया जीतने का हौंसला दिखाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं आमिर अली की जो इस वक्त भारतीय हॉकी में चमकने को तैयार है।
बीते दिनों जौहर कप हॉकी खेलकर लखनऊ लौटे थे तो जुबिली पोस्ट से उन्होंने खास बातचीत की और बताया कि हॉकी क्यों उनके खून में बसती है। उन्होंने ये भी बताया कि तमाम दुश्वारियों के बावजूद हॉकी खेलना जारी रखा। आज वो और उनका छोटा भाई शाहरुख यूपी हॉकी के फलक पर इस वक्त चमक रहे हैं।
आमिर के पिता तसव्वुर अली फुटपाथ पर बाइक रिपेयरिंग करते हैं लेकिन अपने बच्चों की खुशी के लिए उन्होंने कभी कोई चीज के लिए मना नहीं किया। आमिर अली मलेशिया में हुए सुल्तान जौहर कप हॉकी टूर्नामेंट में भारत की तरफ से खेलकर लौटे हैं लेकिन अब वो मानते हैं कि आगे सफर और ज्यादा मुश्किल भरा हो सकता है।
आमिर अली ने बताया कि उनका अगला टारगेट है सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाना और ओलम्पिक में भारत का परचम बुलंद करना।
आमिर अली ने अपने संघर्ष के बारे में जुबिली पोस्ट से बातचीत में बताया कि उनके पिता ने कभी भी उनके खेलने पर रोक नहीं लगायी बल्कि उनकी हॉकी खेलने के लिए पूरी मदद की जब उनके पास नहीं होता था तो किसी और से मांग कर उनके बेटे के सपनों को उड़ान दी।
उनके पिता ने हमेशा हॉकी खेलने के लिए कहा है। आमिर ने बताया कि जब वो दुकान पर बैठकर अपने पिता का हाथ बढ़ाना चाहते थे तो पिता तसव्वुर अली उसे रोकते थे और कहते थे कि तुम सिर्फ हॉकी खेलों बाकी काम होता रहेगा। वहीं उनके छोटे भाई शाहरुख की हॉकी देखने लायक होती है। हाल में ही सब जुनियर हॉकी में उसने हैट्रिक गोल करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
वहीं उनको करीब से देखने वाले केडी सिंह बाबू सोसाइटी के PRO खुर्शीद बताते हैं कि दोनों भाई काफी गरीब घर से आते हैं।
इस वजह से उनके पास हॉकी स्टिक भी नहीं थी लेकिन इसके बावजूद उनमें हॉकी की प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई थी।करीब 7-8 साल से हॉकी सीखने के लिए डी सिंह बाबू सोसाइटी में आए थे।
बताते हैैं कि कई मौकों पर दोनों भाइयों ने मिलकर अकेले ही यूपी को जीत दिलायी है। उन्होंने बताया कि उनकी सोसाइटी ऐसी ही प्रतिभा को आगे लाती है जो गरीब परिवार से आते हैं।
उनको खेल को निखारा जाता है और ताकि आने वाले दिनों में इंडिया की हॉकी को आगे बढ़ा सके। उन्होंने बताया कि दोनों भाई शुरू से मेहनती थी और खेल के प्रति उनका जुनून देखते ही बनता था। उन्होंने बताया कि केडी सिंह बाबू सोसाइटी इन दोनों बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय मदद दी।
खुर्शीद अहमद,ने कहा की उनके उज्जवल भविष्या के लिए केडी सिंह बाबू सोसाइटी शुभकामनाएं देती है। उन्होंने बताया की दोनों को आगे बढ़ाने के लिए ओलंपियन सैयद अली व सुजीत कुमार, कोच राशिद अजीज खान , गुरुतोष पाण्डेय, महेन्द्र बोरा, मोहम्मद यासीन, संजय, मोहम्मद असलम खान जैसे लोग हमेशा तैयार रहते है।