जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी पूरी तरह से टूट चुकी है। चाचा पशुपति कुमार पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवन को पूरी तरह से किनारे कर दिया है और पार्टी पर कब्जा करने की कोशिशें भी शुरू कर दी है लेकिन चिराग पासवन ने अभी हिम्मत नहीं हारी है और पार्टी को एकजुट करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है।
चिराग पासवन ने कहा कि पार्टी मेरे साथ है लेकिन परिवार के लिहाज से बात करें तो यह विश्वासघात है। यह विश्वासघात है, यह पापा के साथ विश्वासघात है। हालांकि पार्टी पर अपनी दावेदारी चाचा और भतीजे दोनों कर रहे हैं। चिराग पासवान ने NDTV से बातचीत में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनके चाचा ने उनके साथ विश्वासघात किया है।
उन्होंने कहा कि चाचा पशुपति कुमार पारस (स्वर्गीय रामविलास पासवान) ने पापा का भरोसा तोड़ा है। इस दौरान चैनल से बातचीत के दौरान कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा को चाचा और तेजस्वी को छोटा भाई बता डाला है।
उन्होंने कहा कि चुनाव चिन्ह 100 फीसदी बचेगा, ज्यादातर लोग हमारे साथ बने हुए हैं। इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि मेरा पिता की अंतिम इच्छा यह थी जो उन्होंने अपने आखिरी दिनों में बोला था कि कुछ भी हो जाए नीतीश कुमार के साथ नहीं जाना।
बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी में दरार आ है। दरअसल चाचा और भतीजे की रार चरम पर जा पहुंची है। इसका नतीजा यह रहा कि चाचा पशुपति कुमार पारस ने अपनी अलग राह चुन ली थी और अपना अलग गुट बना लिया था जबकि अपने भतीजे चिराग पासवान को अलग-थगल करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
दोनों ही गुट अपने-अपने हिसाब से पार्टी पर अपना नियंत्रण करना चाहते हैं। चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया तो चिराग ने कड़ा एक्शन लेते हुए बतौर लोक जनशक्ति के अध्यक्ष की हैसियत से बागी पांच सांसदों को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया था।
ऐसे में दोनों एक दूसरे खिलाफ कड़े तेवर दिखा रहे हैं और पार्टी पर अपना हक जता रहे हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि आखिर किसकी लोकजनशक्ति पार्टी है। दोनों धड़े पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा कर रहे हैं, ऐसे में मामला निर्वाचन आयोग तक पहुंचने के आसार हैं।