जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार पर यह आरोप लगने लगा है कि वो सबसे अविश्वसनीय नेता बनते जा रहे हैं। वे अपने बयान से पलट जा रहे हैं। वो अपने वादे से मुकर जा रहे हैं। भाजपा और राजद से दो-दो बार संबंध तोड़े। रही नेताओं की बात तो वे भी नीतीश कुमार की बेरुखी झेलते रहे हैं। एक-एक कर उनसे नेता दूरी बनाने लगे हैं।
उपेंद्र कुशवाहा भी होने जा रहे हैं शिकार
वैसे तो नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच तनाव का आलम कई बार आया और उपेंद्र कुशवाहा पार्टी छोड़ते रहे। हालिया स्थिति यह है कि मार्च 2021 में उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के संपर्क में आए और नीतीश कुमार से फिर एक बार हाथ मिलाया। वह भी निराले अंदाज में, रालोसपा का जदयू में विलय ही करा डाला। इस विलय पर नीतीश कुमार काफी खुश थे। लेकिन नीतीश कुमार का वादा एक बार फिर टूटता नजर आ रहा है।
इन नेताओं को भी किया दरकिनार
राजनीतिक गलियारों में तो आज भी यह आरोप नीतीश कुमार पर लगता है कि एक समय राजनीति की एबीसी सिखाने वाले जॉर्ज और शरद यादव का साथ तक छोड़ डाला। उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस बात को उजागर करते हुए कहा कि अंतिम समय में शरद यादव ने काफी रोआंसे हो कर बताया था कि कैसे उनके शिष्यों ने अंतिम समय में उनका फोन तक उठाना बंद कर दिया था।
आरसीपी भी कभी थे दाहिने हाथ
नीतीश कुमार और आरसीपी का संबंध तब से था जब नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री थे और वे आईएएस अधिकारी के तहत उनके मंत्रालय से जुड़े थे। बाद में वे राजनीति में आए और नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेता बन गए। लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्हें दूध में मक्खी की तरह निकाल दिया गया।
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क्या कहते हैं भाजपा नेता विजय सिन्हा
बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा जेडीयू में चल रही तानातनी को लेकर कहते हैं कि ‘नीतीश कुमार अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए किसी की भी बलि ले सकते हैं, चाहे वह पार्टी के प्रति कितना भी ईमानदार क्यों न हो।
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