प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के देवास में बने कबीर आश्रम पर आज जिला प्रशासन के निर्देश पर बुल्डोज़र चला दिया गया. इस आश्रम को मूक, बधिर और निशक्त महिलाओं के रहने के लिए बनाया गया था. महिलाओं का यह आश्रम आखिर क्यों ढहा दिया गया यह सवाल देवास में बच्चे-बच्चे की ज़बान पर है.
बताया जाता है कि महिलाओं को सहारा देने के लिए बनाए गए कबीर आश्रम में निशक्त महिलाओं का भरपूर शोषण किया जा रहा था. प्रशासन को जानकारी मिल रही थी कि इस आश्रम में रहने वाली मूक, बधिर और निशक्त महिलाओं का दैहिक शोषण किया जा रहा था.
इस आश्रम में रहने वाली एक मंद बुद्धि की युवती जो मूक और बधिर भी है वह इस आश्रम में रहते हुए गर्भवती भी हो गई और उसने यहाँ एक बच्चे को जन्म भी दिया. प्रशासन ने इस बच्चे और आश्रम स्टाफ का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश भी दिया है. कबीर आश्रम पर बुल्डोजर चलाने से पहले पुलिस ने यहाँ से एक बाबा और एक महिला को हिरासत में भी लिया है.
बताया जाता है कि कबीर आश्रम की तस्वीर जिस तरह से पेश की जाती थी उसमें यह दिखाया जाता था कि यह आश्रम महिलाओं की सेवा के लिए बनाया गया है लेकिन हकीकत इसके विपरीत थी. यहाँ पर निशक्त महिलाओं को बंधक बनाकर रखा जाता था और उनका यौन शोषण किया जाता था.
कबीर आश्रम के बारे में जिला प्रशासन कार्रवाई के लिए तब सचेत हुआ जब यह जानकारी मिली कि वहां रहने वाली मूक-बधिर मानसिक रूप से कमज़ोर युवती गर्भवती हो गई. इस युवती ने छह नवम्बर को एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का जन्म होने के बाद उसे लेकर अस्पताल आयी महिलायें उसे अस्पताल में ही छोड़कर चली गईं.
अस्पताल में उस मंद बुद्धि की युवती और उसके नवजात बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मंदबुद्धि माँ बच्चे को अपने आँचल में समेटे हुए थी. उसकी हालत देखने के बाद यह पड़ताल शुरू हुई कि उसे अस्पताल कौन लाया था. अस्पताल में उसे लावारिस कौन छोड़ गया. इसी के बाद यह पड़ताल भी शुरू हो गई कि इस बच्चे का बाप कौन है. युवती कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थी. यही वजह आश्रम पर बुलडोजर चलने की वजह बन गई.
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प्रशासनिक अधिकारियों ने युवती से प्यार से बात की. उसे समझाने की कोशिश की तो उसने आश्रम को चिन्हित करवाया. इसी के बाद कबीर आश्रम के खिलाफ प्रशासन का डंडा चल गया.