न्यूज डेस्क
राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न ही दुश्मन। राजनीति में सारे रिश्ते जरूरत के लिए ही बनते हैं। ऐसा ही कुछ इस समय कर्नाटक की राजनीति में हो रहा है।कल तक जनता दल (सेक्युलर) की सबसे बड़ी दुश्मन बीजेपी थी और आज वहीं जेडीएस बीजेपी की सगी बन गई है।
जनता दल (सेक्युलर) नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में भाजपा सरकार को गिराने की कोशिश नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी ने उनकी गठबंधन सरकार को गिराया था, लेकिन मेरी पार्टी ऐसा नहीं करेगी।
वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के इस कदम की तीखी आलोचना की है। विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन करना घातक साबित होगा।
मालूम हो कि 27 अक्टूबर को कुमारस्वामी ने कहा था कि वह राज्य में बीएस येदियुरप्पा सरकार को नहीं गिरने देंगे और विपक्ष की मध्यावधि चुनाव कराने की मंशा को पूरा नहीं होने देंगे।
इसके जवाब में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि भाजपा सरकार के प्रति समर्पण का भाव दिखाकर जनता दल (एस) के नेता सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुमारस्वामी ने पहले भी साम्प्रदायिक भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी इसलिए मैं उनके बयान से बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं।
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि मैंने कर्नाटक में भाजपा की सरकार गिराने की कोई कसम नहीं खाई थी बल्कि विधानसभा उप-चुनावों में इस भाजपा को हराने के साथ इनकी सरकार गिरने का अुमान जताया था।
उन्होंने कहा कि जिस तरह महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनाव में मतदाताओं ने दल बदलने वाले विधायकों को सिरे से नकार दिया था। वहीं, कर्नाटक के उप-चुनावों में भी होगा। यह बात पूरी तरह सच साबित होगी। कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (एस) के विधायकों के दलबदल के बाद उप-चुनाव जरूरी हैं और जनता इन दोषियों को सबक जरूरी सिखाएगी।
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