न्यूज डेस्क
दिल्ली की आबोहवा में लोगों का दम घुट रहा है। न घर में चैन है और न बाहर। हालत यह है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। सांस फूलने और सिरदर्द, चेस्ट में भारीपन जैसी समस्या लेकर लोग अस्पताल में पहुंच रहे हैं। ऐसी परेशानी पहली बार दिल्ली वाले नहीं झेल रहे हैं। पिछले कई सालों से दीवाली बाद इस समस्या से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को दो-चार होना पड़ता है।
हां इस बार हालत ज्यादा खराब है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 3 नवंबर को तीन सालों में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया। लोग अपना दर्द सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। सैकड़ों लोग दिल्ली छोड़कर कहीं और जाना चाहते हैं, लेकिन विकल्प न होने के कारण मजबूर हैं।
3 नवंबर को एक सर्वेक्षण जारी हुआ जिसमें दिल्ली और एनसीआर के 40 फीसदी लोगों ने वायु प्रदूषण के कारण शहर छोड़कर कहीं और बसना चाहते हैं कि इच्छा व्यक्त की। वहीं 16 प्रतिशत निवासियों ने इस दौरान शहर से बाहर जाने की इच्छा प्रकट की।
यह सर्वेक्षण दिल्ली और एनसीआर के 17,000 निवासियों पर किया गया। इस सर्वे में प्रदूषण कम करने के लिए उठाए जा रहे कदमों और प्रदूषण से जुड़े अन्य सवालों पर लोगों से राय मांगी गई थी।
सर्वे में शामिल लोगों में से 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि शहर में रहना तो चाहते हैं। वह प्यूरीफायर, मास्क, पौधों आदि का इस्तेमाल करेंगे, ताकि प्रदूषण से बच सकें। वहीं 16 फीसदी लोगों ने कहा कि वह प्रदूषण के दौरान यात्रा नहीं करेंगे। वहीं 13 प्रतिशत के अनुसार, वे अपना घर नहीं छोड़ेंगे, क्योंकि प्रदूषण से निपटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले साल इसी सर्वे में दिल्ली-एनसीआर के 35 फीसदी लोगों ने शहर छोडऩे की बात कही थी। सर्वे में 14 फीसदी लोगों ने दावा किया कि उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है, जबकि 44 फीसदी लोगों ने माना कि उनके स्वास्थ्य पर प्रदूषण का काफी असर पड़ रहा है। 29 फीसदी लोगों ने माना कि उनके परिवार के एक या अधिक सदस्य को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ रही है।
इस बीच दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली में रविवार को शाम चार बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 494 दर्ज किया गया जो छह नवंबर 2016 के बाद से सर्वाधिक है। उस दिन एक्यूआई 497 था।
मालूम हो कि दिल्ली सरकार एक नवंबर को ही पांच नवंबर तक स्कूल बंद रखे जाने का आदेश दे चुकी है। मौसम की जानकारी देने वाली निजी कंपनी ‘स्काईमैट वेदर’ के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक महेश पलावत ने कहा, ‘रविवार को वायु की गति काफी बढ़ गई थी, लेकिन कहीं-कहीं बारिश के बाद आर्दता बढऩे के कारण धुंध और छाए बादलों ने सूर्य की किरणों को जमीन पर नहीं पहुंचने दिया। इसके परिणामस्वरूप जमीन के निकट वायु ठंडी एवं भारी रही।’
नासा के उपग्रह से ली गई तस्वीरों में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार के अलावा झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में धुंध की चादर छाई हुई है। मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि यदि बारिश नहीं होती है तो हालात में खास सुधार की उम्मीद नहीं है। पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवात ‘महा’ के कारण सात और आठ नवंबर को बारिश हो सकती है।
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