Wednesday - 6 November 2024 - 9:11 AM

आखिर कहां गई लापता हुई साढ़े चार करोड़ भारतीय महिलाएं?

  • साल 2013 से 2017 के बीच भारत में हर साल करीब साढ़े चार लाख बच्चियां जन्म के समय ही लापता हो गईं
  •  दुनिया भर में हर साल लापता होने वाली 12 से 15 लाख बच्चियों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा चीन और भारत की

जुबिली न्यूज डेस्क

क्या आपको मालूम है कि दुनिया भर में कितनी महिलाएं लापता है? क्या आपको मालूम है कि भारत में कितनी बच्चियां और महिलाएं गायब है? नहीं पता तो हम बताते हैं। ये आंकड़े चौकाने वाले हैं। दुनिया भर में पिछले 50 साल में 14 करोड़ 26 लाख महिलाएं लापता हैं और इसमें चार करोड़ 58 लाख महिलाएं भारत की हैं।

ये आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने जारी किया है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में कहा कि लापता महिलाओं की संख्या चीन और भारत में सर्वाधिक है।

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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2013 से 2017 के बीच भारत में हर साल करीब साढ़े चार लाख बच्चियां जन्म के समय ही लापता हो गईं। प्रतिवर्ष लापता होने वाली अनुमानित 12 से 15 लाख बच्चियों में से 90 प्रतिशत से ज्यादा चीन और भारत की होती हैं।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) द्वारा जारी ‘वैश्विक आबादी की स्थिति 2020Ó रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में लापता हुईं महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है। यह संख्या 1970 में छह करोड़ 10 लाख थी और 2020 में बढ़कर 14 करोड़ 26 लाख हो गई है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2020 तक चार करोड़ 58 लाख और चीन में सात करोड़ 23 लाख महिलाएं लापता हुई हैं। रिपोर्ट में प्रसव के पूर्व या प्रसव के बाद लिंग निर्धारण के प्रभाव के कारण लापता लड़कियों को भी इसमें शामिल किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘साल 2013 से 2017 के बीच भारत में करीब चार लाख 60 हजार बच्चियां हर साल जन्म के समय ही लापता हो गई। एक विश्लेषण के अनुसार कुल लापता लड़कियों में से करीब दो तिहाई मामले और जन्म के समय होने वाली मौत के एक तिहाई मामले लैंगिक आधार पर भेदभाव के कारण लिंग निर्धारण से जुड़े हैं।’

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रिपोर्ट में विशेषज्ञों की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि लैंगिक आधार पर भेदभाव की वजह से (जन्म से पूर्व) लिंग चयन के कारण दुनियाभर में हर साल लापता होने वाली अनुमानित 12 लाख से 15 लाख बच्चियों में से 90 से 95 प्रतिशत चीन और भारत की होती हैं।

इसमें कहा गया है कि प्रतिवर्ष जन्म की संख्या के मामले में भी ये दोनों देश सबसे आगे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों ने लिंग चुनने के मूल कारण से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। भारत और वियतनाम ने लोगों की सोच को बदलने के लिए मुहिम शुरू की हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों के बजाय लड़कों को प्राथमिकता देने के कारण कुछ देशों में महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में बड़ा बदलाव आया है और इस जनसांख्यिकीय असंतुलन का विवाह प्रणालियों पर निश्चित ही असर पड़ेगा।

कुछ अध्ययनों में यह सुझाव दिया गया है कि भारत में संभावित दुल्हनों की तुलना में संभावित दूल्हों की संख्या बढऩे संबंधी स्थिति 2055 में सबसे खराब होगी। भारत में 50 की उम्र तक एकल रहने वाले पुरुषों के अनुपात में साल 2050 के बाद 10 फीसदी तक वृद्धि का अनुमान जताया गया है।

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