सैय्यद मोहम्मद अब्बास
देश में अगले कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने वाला है। चुनाव आयोग किसी भी दिन लोकसभा चुनाव की डेट का ऐलान कर सकती है। ऐसे में राजनीति दलों ने कमर कस ली।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार भारत रत्न देने का ऐलान कर रही है। उसने एक नहीं बल्कि पांच लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इसमें कर्पूरी ठाकुर, आडवाणी के बाद अब स्वामीनाथन, चौधरी चरण सिंह और नरसिम्हा राव का नाम शामिल है।
सरकार के इस ऐलान के पीछे क्या सियासी मायने है, इसको लेकर बहस हो सकती है लेकिन मोदी सरकार एक ऐसे शख्स को भारत रत्न देने के बारे में बात तक नहीं कर रही है, जो सच में हकदार है। जिस खिलाड़ी ने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान की धाक जमाई थी, उसी खिलाड़ी के साथ आज तक बेगाने जैसा बर्ताव किया जाता है। उनके नाम पर हॉकी टूर्नामेंट खेले जाते हैं। इतना ही नहीं सरकार भी उनके नाम का भरपूर तरीके से इस्तेमाल करती है लेकिन भारत रत्न देने के नाम पर किनारा करती है। जी हां मैं बात कर रहा हूं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की।
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अभी हाल में उनके पुत्र अशोक ध्यानचंद ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि पीड़ा यह है कि जिनके नाम पर पुरस्कार बांटा जा रहा है, उन्हें ही देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से महरूम रखा गया है। उन्होंने यहां तक कहा था कि दद्दा को भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया, इसकी कोई एक वजह भी कोई बताने को तैयार नहीं है।
ऐसे में जब सरकार भारत रत्न कई लोगों को देने का ऐलान कर रही है तो ध्यानचंद के नाम से परहेज क्यों है। मौजूदा सरकार पॉलिटिकल माइलेज लेने के लिए एक नहीं पांच लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान एक झटके में कर दिया लेकिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की बात तक नहीं की जा रही है, शायद मेजर ध्यानचंद सियासी चेहरा नहीं है, इसलिए उनको देकर वोट बैंक अंदर नहीं किया जा सकता है।
उनके नाम पर देश में कई हॉकी स्टेडियम है। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद कोई मामूली शख्सियत नहीं है। लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद की उपलब्धियों पर अगर गौर करेंगे तो आप भी गौरवान्वित महसूस करेंगे।
हर साल उनके जन्मदिन पर सरकार बड़ी-बड़ी घोषणा करती है। इतना ही नहीं मेजर ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे दर्जे का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण तो दिया गया, लेकिन सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के लिए उनके नाम पर विचार तो करती है लेकिन देने से हर बार मना कर देती है।
जब लग रहा था कि उनको ये सम्मान मिल जायेगा लेकिन उनकी जगह सचिन तेंदुलकर को साल 2014 भारत रत्न से सम्मानित कर दिया गया और ध्यानचंद आज भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।