न्यूज डेस्क
सीबीआई भगवान नहीं है, जिसे सब कुछ पता है और जो हर केस जल्दी सुलझा देगी। हर मामले में जांच एजेंसी के पास जाने की जरूरत नहीं है।
यह टिप्पणी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने की थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए यह प्रतिक्रिया दी जिसमें कोर्ट ने एक केस को पुलिस के हाथों से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था।
हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के गायब होने की जांच स्थानीय पुलिस से छीनकर सीबीआई को सौंप दी थी।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने हाईकोर्ट के इस आदेश को खारिज करते हुए कहा कि-एजेंसी भगवान नहीं है। अगर हर दूसरा मामला सीबीआई को सौंपा गया तो अफरा-तफरी मच जाएगी।
मालूम हो कि पलवल का एक शख्स साल 2012 से लापता था। शख्स के लापता होने की शिकायत उसके भाई ने कराई थी। स्थानीय पुलिस उसका पता लगाने में असमर्थ रही जिसके बाद 2017 में हाईकोर्ट ने ये केस पलवल पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक कुछ लोगों ने उनके पिता से एक जमीन खरीदी थी। लापता शख्स उसी के पैसे लेने उन लोगों के पास गया था और वापस लौटकर नहीं आया। पांच साल तक पुलिस उस शख्स को नहीं ढूंढ पाई जिसके बाद अगस्त 2017 में हाईकोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया।
हाईकोर्ट के इस आदेश को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सीबीआई ने तर्क दिया कि इस मामले को लोकल पुलिस सुलझा सकती थी। उसके पास मानव संसाधन की बेहद कमी है। सीबीआई की बात से सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गई और हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह पलवल पुलिस के केस बंद करने के प्रयास को कानून के अनुसार उचित कोर्ट में चुनौती दे।
दरअसल पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह कहकर केस को बंद करने की कोशिश की है कि लापता शख्स का पता लगाना अब संभव नहीं है। वहीं सीबीआई के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस को इस मामले में ठीक से जांच करने के आदेश दिए हैं।