जुबिली न्यूज डेस्क
चीन की धमकी के बाद भी अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान दौरे पर पहुंची हैं। पेलोसी के इस कदम से चीन बौखला गया है। यहां तक कि उसने युद्ध की चेतावनी दे दी है। चीन की आर्मी ने ताइवान को चारों तरफ से घेर लिया है और अपने फाइटर जेट व युद्धपोत तैनात कर दिए हैं। खबरो की माने तो चीन अब पेलोसी को ताइवान से बाहर जाने से भी रोक सकता है। आखिर क्या है चीन-ताइवान के झगड़े की वजह और क्यों नैंसी पेलोसी के दौरे से भड़का है चीन? आइए जानते हैं।
जानें चीन-ताइवान के झगड़े की वजह?
ताइवान, चीन के पूर्व में समंदर के बीचोंबीच स्थित एक छोटा-सा द्वीप है। चीन से ताइवान करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर है। ताइवान की आबादी लगभग 2.3 करोड़ है। चीन इसे अपना एक प्रांत मानता है। वहीं ताइवान अपनी पहचान एक आजाद देश के रूप में बताता है। दोनों में तनातनी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान से ही चल रहा है।
चीन इसलिए करना चाहता है कब्जा
दरअसल, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में चीनी नेता माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जीत गई। इसके बाद कुओमितांग के लोग अपनी मुख्य भूमि छोड़कर ताइवान में बस गए। चूंकि उस वक्त कम्युनिस्टों की नौसेना बेहद कमजोर थी, ऐसे में माओत्से तुंग की सेना समुद्र पार कर ताइवान को अपने कंट्रोल में नहीं ले सकी। हालांकि, चीन का कहना है कि 1992 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और ताइवान की कुओमितांग पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के मुताबिक, दोनों पक्ष इस बात को मानने के लिए राजी हो गए थे कि ताइवान चीन का ही एक हिस्सा है। लेकिन कुओमितांग की मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने इस समझौते को कभी नहीं माना। वहीं चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि वो हर हाल में ताइवान को चीन में मिलाकर रहेंगे, जबकि ताइवान चीन में नहीं मिलना चाहता और वो अलग देश के रूप में ही रहना चाहता है।
चीन-अमेरिका के बीच इस वजह से तनाव
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि, अगर चीन किसी भी सूरत में ताइवान पर हमला करता है तो वो उसकी रक्षा करेंगे। इसके अलावा अमेरिका ताइवान को हथियार भी बेचता है। ऐसे में ताइवान के साथ अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों की वजह से चीन पहले से ही बौखलाया हुआ है। वहीं चीन ने अमेरिका को धमकी दी है कि वो दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की दखलंदाजी न करें।
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नैंसी पेलोसी से क्यों बौखलाया चीन
नैंसी पेलोसी हमेशा से ही चीन की आलोचना करती रही हैं। 1991 में बीजिंग दौरे के दौरान पेलोसी यहां के थियानमेन चौक पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने एक बैनर लेकर चीन में लोकतंत्र की वकालत की थी। बता दें कि थियानमेन स्क्वॉयर वही जगह है, जहां 1989 में चीनी स्टूडेंट देश में लोकतंत्र की मांग करते हुए प्रोटेस्ट कर रहे थे। इसी बीच चीनी सेना ने उन पर टैंक चढ़ाते हुए गोलियां बरसाई थीं। इस हमले में हजारों लोगों की मौत हुई थी। यही कारण रहा कि चीन नैंसी पेलोसी की विरोध करता है। वहीं आज ये मामला इतना बढ़ गया है कि दोनों के बाच युद्ध की नौबत आ गई है।
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