जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। हालात जंग जैसे हो गए है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कल ही पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहंस्क को अलग देश घोषित किया है और मान्यता देते हुए वहां सेना भेजने का फैसला किया है।
इसके बाद से दोनों देशों के बीच जंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। अमेरिका भी अब रूस से काफी नाराज है और एक्शन लेने की बात कह रहा है। इतना ही नहीं रूस से कई देश नाराज है और अमेरिका-ब्रिटेन समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की घोषणा कर डाली है।
रूस के कदम लगातार आगे बढ़ रहे है और माना जा रहा है कि बहुत जल्द तीसरा विश्वयुद्ध देखने को मिल सकता है। जहां एक ओर पूरी दुनिया की नजर रूस पर है तो इसके बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सीक्रेट प्लेबुक को लेकर चर्चा तेज होती नजर आ रही है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सीक्रेट प्लेबुक का जिक्र खुद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी किया था। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की माने तो यूक्रेन का तनाव इस प्लॉन की शुरुआत भर है।
उन्होंने बताया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि यूक्रेन की सीमा के पास रूस ने 1.5 लाख से ज्यादा सैनिकों को भेजा है और ये साफ संकेत जंग है। उन्होंने यहां तक कहा था कि रूस यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमला बोल सकता है।
क्या है पुतिन का प्लेबुक
दरअसल पिछले साल एक किताब सामने आई थी। ये किताब किसी और ने नहीं बल्कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी की एजेंट रहीं रेबेका कॉफलर ने किताब लिखी थी। उनकी किताब का शीर्षक था ‘Putin’s Playbook: Russia’s Secret Plan to Defeat America’ यानी अमेरिका को हराने के लिए रूस का सीक्रेट प्लान।
कॉफलर ने बताया था
इस किताब में कॉफलर ने बताया था कि सोवियत संघ के पतन को व्लादिमीर पुतिन ने कैसे रूस के अपमान के तौर पर देखा था और उन्होंने आगे ये भी लिखा था कि पश्चिमी देशों के साथ युद्ध में पुतिन रूस को एक ग्रेट पावर के तौर पर बनाने की कोशिशों में लगे हुए है। साल -1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तब कई और नये देश विश्व पटल पर नजर आये। नये देशों में संघर्ष किया और मोल्दोवा के ट्रांसनिस्ट्रिया, जॉर्जिया के अंदर साउथ ओसेशिया और अबकाजिया। इन संघर्षों में रूस बड़ी भूमिका में हमेशा खुद को देखता है।
ऐसे समझे पुतिन का पूरा प्लॉन
पुतिन की प्लेबुक की शुरुआत यूक्रेन से होती नजर आ रही है। इसका प्रयोग उसने सबसे पहले जॉर्जिया पर किया था। तेज हमले के साथ रूस ने विरोधी ताकतों को जमीन पर दिया था। अब अमेरिकी वर्चस्व को खत्म करने के लिए
पुतिन की इस प्लेबुक की चर्चा हो रही है। यूक्रेन की तरह जॉर्जिया भी नाटो में शामिल होना चाहता था और रूस ये नहीं चाहता है। इसी वजह से उसने 2008 में रूस ने उस समय जॉर्जिया के अबकाजिया और दक्षिण ओसेशिया को भी अलग देश की मान्यता दे दी थी और अपनी सेना भेज दी थी। अब यही प्रयोग अब उसका यूक्रेन पर है।