स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कोरोना काल में राजनीति भी चरम पर देखने को मिल रही है। सरकार के कई फैसलों पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने आ जाते हैं। प्रवासी मजदूर से लेकर अब शराब की दुकानों को खोले जाने पर सरकार और विपक्ष में तीखी बहस देखने को मिल रही है। पूरा देश कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है।
इस वजह से देश में लॉकडाउन को आगे बढ़ाया गया है लेकिन अब सरकार ने शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया है और इस वजह से सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रख दिया गया है।
सरकार के इस फैसला पर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज किया था और कहा था कि ट्वीट कर पूछा कि भाई साहब कृपया ये बताएं कि पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए क्या इसी लाइन में लगना है?
भाई साहब कृपया ये बताएं कि 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुँचने के लिए क्या इसी लाइन में लगना है? pic.twitter.com/7bk7GavJ1V
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 4, 2020
अब सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव की पार्टी ने लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर कड़ा विरोध किया है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नगर अध्यक्ष व शिवपाल यादव फैन्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष चौबे ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को कोरोना वायरस से ज्यादा खजाने की चिंता सता रही है।
यही वजह है कि वायरस के जंग के बीच मधुशाला खोलने की इजाजत दे दी गई। आगे उन्होंने कहा कि पिछले 43 दिनों से जनता घरों पर कैद है और चंद पैसों के चलते उनकी मेहनत पर सरकार ने पानी भेर दिया है। प्रसपा सरकार के फैसले की घोर निंदा करती है।
बता दें कि शराब की दुकानों को खोलने के बाद सोशल डिस्टेसिंग की उड़ती नजर आरही है। प्रसपा नेता ने सरकार को चेताया है और कहा है कि 17 मई के बाद कार्यकर्ता सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाये तो सूबे की राजनीति में सपा-प्रसपा दोनों कुछ मुददें को लेकर सरकार को घेर रहे हैं।