Monday - 28 October 2024 - 5:36 PM

AFSPA : कांग्रेस का ‘सेल्फ गोल’ है या ‘मास्टर स्ट्रोक’

अविनाश भदौरिया

कांग्रेस ने मंगलवार को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस के घोषणापत्र में ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार’ यानी की ‘अफस्पा’ में संशोधन करने की बात कही गई है। कांग्रेस की इस घोषणा के बाद से बीजेपी के नेताओं ने उसे घेरना शुरू कर दिया है। बीजेपी कांग्रेस के इस चुनावी ऐलान को पूरे चुनाव में भुनाने वाली है। अफस्पा क्या है और इससे कांग्रेस को लाभ होगा या बीजेपी को यह समझने के लिए कुछ बातों को समझना जरुरी है।

क्या है अफस्पा (आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट)

‘अफस्पा’ जम्मू-कश्मीर समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में लागू है। इस एक्ट को 1958 को लागू किया गया। ‘अफस्पा’ कानून को अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। अफस्पा कानून के तहत सशस्त्र बलों को अतिरिक्त शक्तियां दी जाती हैं। इस कानून के तहत असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है और बिना वारंट किसी के घर की तलाशी भी ली जा सकती है। ‘अफस्पा’ को लेकर बहुत से मानवाधिकार संगठन, अलगाववादी और राजनीतिक दल सवाल उठाते रहे हैं। उनका तर्क है कि इस कानून से मौलिक अधिकारों का हनन होता है।

कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान

साल 2014 के चुनाव में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और हिंदू विरोधी छवि होने का नुकसान पार्टी भुगत चुकी है। इस बात को एके एंटनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है। यही वजह है कि पिछले काफी समय से कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। राहुल गांधी ने मंदिरों के दर्शन करने से लेकर जनेऊ तक धारण कर डाला और कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके गोत्र को भी बताया गया। लेकिन कांग्रेस द्वारा अपने घोषणा पत्र में ‘अफ्स्पा’ में संसोधन की बात आगामी चुनाव में एकबार फिर नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि कांग्रेस को अपने इस चुनावी वादे से पूर्व के कुछ सांसदीय क्षेत्रों में फायदा भी मिल सकता है।

बता दें कि यह कानून जम्मू-कश्मीर समेत नगालैंड, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश में लागू है। इन राज्यों में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए को इन सीटों में से 12 सीटें मिली थीं। अब कांग्रेस के घोषणा पत्र में इस मुद्दे के आने के बाद उसे इन सीटों पर लाभ मिलने की उम्मीद है। साथ ही इस फैसले से कांग्रेस को देश के अन्य राज्यों में रह रहे ‘मुस्लिम वोट बैंक’ को आकर्षित करने में भी मदद मिल सकती है। कांग्रेस द्वारा इस मुद्दे को उठाते ही अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों से आंशिक रूप से अफस्पा हटा दिया गया।

बीजेपी को ध्रुवीकरण का मिला मौका

कांग्रेस द्वारा ‘अफ्स्पा’ में संशोधन के ऐलान के साथ ही पीएम मोदी समेत बीजेपी के सभी नेता कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं।

पीएम मोदी ने सिलीगुड़ी में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि AFSPA देश के सैनिकों के लिए सुरक्षा कवच है। जिससे वो निर्भय होकर देश की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं। लेकिन कांग्रेस इसे सेना से छीन लेना चाहती है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी एक रैली में कहा कि सेना के जवान विषम परिस्थितियों में हमारी सुरक्षा करते हैं और कांग्रेस उनकी सुरक्षा के लिए बनाये AFSPA क़ानून को हटाने की बात कर रही है। मैं राहुल गांधी को कहना चाहता हूँ कि वोटबैंक की राजनीति के लिए इतना मत गिरो। मोदी सरकार सेना के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।

गौरतलब है कि बीजेपी 2019 का चुनाव ‘राष्टवाद’ और ‘हिंदुत्व’ के मुद्दे पर लड़ना चाहती है। शुरू से ही पीएम मोदी और बीजेपी नेताओं द्वारा दिए गए भाषणों में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘एयर स्ट्राइक’ का बाखान किया जा रहा है। विपक्षी दलों की कोशिश है कि बेरोजगारी, विकास और कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाया जाए, लेकिन बीजेपी विपक्ष को अपनी पिच में खिलाना चाहती है। ऐसे में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘अफ्स्पा’ का जिक्र करके बीजेपी को मौका दे दिया है, जिसे वह पूरे चुनाव में भुनाने की पुरजोर कोशिश करेगी।

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