जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. अफगानिस्तान के छात्रों ने तालिबानी फरमान को करारा तमाचा जड़ा है. तालिबान की हुकूमत बनने के फ़ौरन बाद लड़कियों के अधिकारों में बेहिसाब कटौती की गई है. सरकार बनने से पहले ही तालिबान का पहला फरमान यही था कि स्कूल-कालेज में लड़के-लड़कियां साथ-साथ नहीं पढेंगे. अब जब लड़कों के स्कूल खोलने का एलान किया गया है तो लड़कियों के स्कूल खोलने का कोई ज़िक्र ही नहीं है. इस एलान के बाद बड़ी संख्या में छात्रों ने कालेज जाने से इनकार कर दिया कि जब तक छात्राओं को भी कालेज जाने की इजाजत सरकार नहीं देगी तब तक वह भी कालेज की पढ़ाई का बहिष्कार करेंगे.
वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर के मुताबिक छात्रों ने कहा कि महिलाएं इस समाज का आधा हिस्सा हैं. जब तक उनके लिए स्कूल नहीं खोले जाते तब तक वह भी स्कूल नहीं जायेंगे. छात्रों ने कहा है कि अगर सरकार उन्हें पढ़ाना चाहती है तो छत्राओं के स्कूल खोलने का भी एलान करे.
शुक्रवार को अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्रालय ने सातवीं से 12 वीं क्लास के छात्रों के लिए स्कूल खोलने का एलान करते हुए पुरुष अध्यापकों को स्कूल पहुँचने का आदेश दिया लेकिन लड़कियों के लिए स्कूल कब खुलेंगे इस बारे में कोई ज़िक्र तक नहीं किया. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि सरकार लड़कियों के स्कूल भी खोलेगी लेकिन इसके लिए पहले इंतजाम करने होंगे, इसलिए अभी तारीख का एलान नहीं किया जा सकता.
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : फोकट की सुविधाएं सिर्फ आपको ही चाहिए मंत्री जी
यह भी पढ़ें : इस्तीफे के बाद कैप्टन ने सिद्धू पर निकाली भड़ास, बताये पाकिस्तान से गहरे सम्बन्ध
यह भी पढ़ें : योगी खुद बताएंगे साढ़े चार साल में यूपी के लिए क्या-क्या किया
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : पहली बार देखी ट्रोल होती सरकार
अफगानिस्तान के एक स्कूल टीचर के मुताबिक़ लड़कियों को पहले भी महिलायें ही पढ़ाती थीं. छात्रों और छात्राओं के पढ़ने का वक्त भी अलग था. लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग पढ़ाने के लिए स्कूलों में शिफ्ट में पढ़ाई होती थी. उन्होंने कहा कि लड़कियों को पढ़ाये बगैर हम शिक्षित समाज को तैयार नहीं कर सकते. लड़कियां पढ़ी-लिखी होती हैं तो एक अच्छी पीढ़ी तैयार होती है. अब अफगानिस्तान में हुकूमत बदल गई है. नई हुकूमत लड़कियों की शिक्षा का इंतजाम अपने हिसाब से करना चाहती है तो इसमें वक्त तो लगेगा ही.