न्यूज़ डेस्क।
लखनऊ। प्रदेश ही नहीं देश में के वकीलों के गठजोड़ और वकीलों से जुड़े मुद्दे पर उनकी एकजुटता किसी से छिपी नहीं है। वकीलों से जुड़े चाहे छोटे मुद्दे हों या बड़े मुद्दे प्रदेश सहित देश भर के वकील प्रदर्शन के लिए सड़कों पर आ जाते हैं। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के दोनों बेंचों इलाहाबाद और लखनऊ के अधिवक्ता आमने सामने हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा न्यायाधिकरण को लखनऊ में स्थापित करने की संस्तुति की थी। इस फैसले का इलाहाबाद के अधिवक्ताओं ने काम काज बंद कर विरोध करना शुरू कर दिया। इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के संगठन का प्रतिनिधिमंडल लखनऊ आकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मिला।
संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने शिक्षा न्यायाधिकरण को इलाहाबाद में स्थापित करने की मांग की। जिसके बाद दानों बेंचों के अधिवक्ताओं के संगठन रोजना अन्य संगठनों से समर्थन की अपील कर रहे है। साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्रियों से लेकर नेताओं तक का भी समर्थन अपने पक्ष में जुटाने की जद्दोजहद में लगे हुए है। वहीं वादीयों के लिए भी फैसला एक नई मुसीबत बढ़ाने की की तरफ ले जाता हुआ दिख रहा है।
शिक्षा अधिकरण के गठन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ और इलाहाबाद बेंच के अधिवक्ता लगातार विरोध दर्ज करा रहे है। दोनों बेंचों के अधिवक्ता अपनी-अपनी बेंचों में इसकी स्थापना पर प्रदर्शन कर सरकार दबाव बना रहे है। वकीलों का विरोध इसलिए है कि अकेले शिक्षा विभाग की भर्तियों को लेकर हाईकार्ट में दाखिल होने वाली याचिकाओं की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है। शिक्षा विभाग की याचिकाओं की हिस्सेदारी इतनी अधिक है तो एक बेंच के इस क्षेत्र के अधिवक्ताओं का रोजगार काम होता हुआ दिख रहा है। अगर इसकी स्थापना हाईकोर्ट की इलाहाबद बेंच होगी तो लखनऊ बेंच के अधिवक्ताओं रोजगार कम होगा। लखनऊ में होगी तो इलाहाबाद के अधिवक्ताओं का कम होना तय है।
पिछले एक दशक के दौरान शायद ही कोई ऐसी शिक्षक भर्ती रही हो जिसके विवाद के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल न हुई हो। कोर्ट ने इस पर व्यापक और दूरगामी फैसलों से कई भर्तियों में न सिर्फ अभ्यर्थियों को न्याय भी मिला है।
वजह साफ है चाहे शिक्षामित्रों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ मामला रहा हो। या फिर एलटी ग्रेड परीक्षा में सामने आई गड़बड़ी का हो, 72825 सहायक अध्यापक भर्ती का मामला हो या 25 हजार विज्ञान-गणित अध्यापकों की भर्ती का मामला हो या फिर 68500 और 65000 अध्यापक भर्ती का मामला हो। इन सभी प्रकरण को लेकर याचिकाएं अब भी दाखिल हो रही है।
अनुमान के अनुसार हाईकोर्ट में करीब साढ़े तीन लाख याचिकाएं सिर्फ शिक्षा से संबंधित मामलों की हैं। जबकि कुल लंबित याचिकाएं सवा नौ लाख के आसपास है। जानकारों का मानना है कि शिक्षा अधिकरण बनने के बाद सभी विवाद पहले अधिकरण जाएंगे। जब अधिकरण से फैसला आ जाएगा उसके बाद उससे असहमत होने पर हाइकोर्ट में पुनरीक्षण दाखिल कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट में अपील का क्षेत्राधिकार रहेगा।
शिक्षा अधिकरण की स्थापना को लेकर अवध बार एसोसिएशन हाइकोर्ट लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी बालकेश्वर श्रीवास्तव ने इस सम्बन्ध में बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को याचिका दाखिल की जिसकी सुनवाई अगले सोमवार को होगी। उन्होंने बताया कि हाइकोर्ट की इलाहाबाद में बेंच में इससे पूर्व कई ट्रिब्यूनल की स्थापना की जा चुकी है जिसके लिए हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के अधिवक्ताओं ने कभी कोई विरोध नहीं किया ऐसे अगर लखनऊ बेंच को एक ट्रिब्यूनल मिल जा रहा था तो इलाहाबाद के अधिवक्ताओं द्वारा विरोध करना गलत है।
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