जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बेहद कम दिन रह गया है। जहां एक ओर मोदी जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है तो दूसरी ओर विपक्ष उनको रोकने के लिए इंडिया गठबंधन का निर्माण कर चुका है।
इंडिया गठबंधन में पूरा विपक्ष एक हो गया है और मोदी को रोकने का दावा कर रहा है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश का सियासी मौसम लगातार बदल रहा है।
संसद में जहां एक ओर घमासान मचा हुआ तो दूसरी तरफ चुनाव में कैसे जीत हासिल की जाये उसके लिए रणनीति तेज हो गई है। इन सब के बीच विपक्षी इंडिया गठबंधन की भी दिल्ली में बैठक हुई।
इंडिया गठबंधन में मायावती शामिल नहीं है और अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि इस गठबंधन में मायावती की एंट्री न हो। इस वजह से अखिलेश यादव ने कांग्रेस से तल्ख सवाल किए तो वहीं राहुल गांधी ने भी पार्टी ने अपने जवाब से तस्वीर साफ कर दी है।
वहीं दूसरी ओर गुरुवार को मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने इस पूरे मामले पर खुलकर कुछ भी नहीं कहा है।
मायावती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इन्हें बचाने की जिम्मेदारी सभी की है। उन्होंने संसद की सुरक्षा में सेंध को बहुत गंभीर और चिंतनीय बताया, लेकिन ये भी जोड़ा कि आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा।
मायावती ने विपक्ष को ये नसीहत भी दी कि इसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने INDIA गठबंधन पर कहा कि जो भी विपक्षियां पार्टियां इस गठबंधन में नहीं हैं, उन पार्टियों को लेकर किसी को भी फिजूल की टीका-टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इंडिया गठबंधन को दूसरी विपक्षी पार्टियों को लेकर टीका-टिप्पणी से बचने की नसीहत दी। बसपा प्रमुख ने ये भी कहा कि मेरी सलाह है कि इन लोगों (इंडिया गठबंधन) को इससे बचना चाहिए। क्योंकि भविष्य में देश हित में कब किसको किसकी जरुरत पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर ऐसे लोगों और ऐसी पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। खास तौर पर सपा इसका उदाहरण है।
मायावती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संसद के चालू शीतकालीन सत्र के दौरान करीब डेढ़ सौ सांसदों का निलंबन संसदीय इतिहास के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के विश्वास को आघात पहुंचाने वाला है।
उन्होंने ये भी कहा कि विपक्ष विहीन संसद से विधेयक पारित कराया जाना भी अच्छी परंपरा नहीं है। मायावती ने बसपा को धर्म निरपेक्ष, सभी धर्मों के उपासना स्थलों का सम्मान करने वाला बताया और कहा कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर या मस्जिद से हमें कोई ऐतराज नहीं है। सरकार से दूरी बताते मायावती के ये बयान बीजेपी का करीबी होने के टैग से निजात की कोशिश माने जा रहे हैं।