जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के विषय में विवरण दिया गया है।
एडीआर ने चुनाव लड़ने वाले 88 में से 87 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है। निर्वाचन क्षेत्र टूंडला से राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के एक उम्मीदवार भूपेन्द्र कुमार धनगर का शपथपत्र स्पष्ट ना होने के कारण उनका विश्लेषण नही किया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव 2020 में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की संपत्ति की बात की जाए तो 87 में से 34 (39 प्रतिशत) करोड़पति उम्मीदवार हैं।
BSP के 7 में से 7 (100 प्रतिशत), SP के 6 में से 5 (83 प्रतिशत), INC के 6 में से 4 (67 प्रतिशत), BJP के 7 मे से 4 (57प्रतिशत) और 22 में से 6 (27 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति हैं।
वहीं उम्मीदवारों की अपराधिक पृष्ठभूमि की बात करें तो 87 में से 18 (21 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं और 15 (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
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अगर उम्मीदवारों द्वारा दलवार घोषित अपराधिक मामलों की बात करें तो BSP के 7 में से 5 (71 प्रतिशत), SP के 6 में से 5 (83 प्रतिशत), INC के 6 में से 1 (17 प्रतिशत) और 22 में से 3 (14 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। जबकि बीजेपी के किसी भी उम्मीदवार पर अपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं
कुलमिलाकर उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 21 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों (बीजेपी को छोड़कर) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित करने वाले 17 प्रतिशत से 83 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।
बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में विषेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने व साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के कारण बताने का निर्देश दिया था।
इन अनिवार्य दिषानिर्देशों के अनुसार, ऐसे चयन का कारण सम्बन्धित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए।
इसलिए, राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए ऐसे निराधार और आधारहीन कारण, जैसे व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य, राजनीति से प्रेरित मामले आदि दागी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए ठोस कारण नहीं हैं।
यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारे लोकतंत्र में कानून तोड़ने वाले उम्मीदवार जीतने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते हैं।
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