जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। पटना में क्रिकेट को लेकर घमासान तेज हो गया है। जहां एक ओर बिहारी क्रिकेटर कोरोना वायरल और लॉकडाउन की वजह से परेशानी में नजर आ रहे हैं। उधर कुछ लोग बिहार में क्रिकेट के नाम पर फर्जीवाड़ा करने की तैयारी में है।
दरअसल जानकारी के मुताबिक बिहार क्रिकेट लीग (बीसीएल) का आयोजन करने की बात सामने आ रही है। इसका खुलासा खुद सीएबी के सचिव आदित्य वर्मा ने जुबिली पोस्ट को फोन पर बताया है।
उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के आला अधिकारियों से यह जानकारी मिली है कि बिहार में टी-20 के तर्ज पर बिहार क्रिकेट लीग (बीसीएल) के किसी भी आयोजन के लिए बीसीसीआई से ना कोई सहमति के लिए आग्रह किया है ना बीसीसीआई ने कोई सहमति दी है।
उन्होंने कहा कि मैं बिहार क्रिकेट का एक सच्चा समर्थक होने के नाते बिहार क्रिकेट संघ के पदाधिकारीयों (विवादित दोनो ग्रुप) से जानना चाह रहा हूं कि किस नियम कानून के तहत बीसीएल के प्रायोजकों को यह विवादित लीग कराने की अनुमति दे दी गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गॉगुली इस तरह के आयोजन के सख्त खिलाफ है क्योंकि कुछ दिन पहले मोहाली के एक कसबे मे ठीक इसी प्रकार के आयोजन को लंका मे दिखा दिया गया था।
उन्होंने इस लीग को लेकर कहा कि बीसीसीआई की एसीयू टीम इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही है और इसको लेकर थाने में शिकायत भी की गई है। उन्होंने बताया कि सीएबी दिल से चाह रहा है कि बिहार के क्रिकेटरो के भविष्य के लिए बिहार मे बड़े बड़े प्रायोजक आ ।
ताजा परिस्थिति मे बिहार क्रिकेट संघ के आपसी झगड़े को देखते हुए बीसीसीआई ने एपेकस काउंसिल के 17.10.20 के बैठक मे बिहार क्रिकेट के संचालन के लिए एक अहम फैसला सुरक्षित कर लिया है।
उन्होंने कहा कि बीसीए का खाता विवाद के कारण बैंक ऑफ इंडिया ने बंद कर दिया है, उसके बाद भी तथ्य को छुपा कर बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष के ग्रुप ने 16.09.20 को पटना के एक दूसरे बैंक मे बिहार क्रिकेट संघ का खाता खोल दिया है।
इससे यह साबित हो गया है कि बीसीएल के प्रायोजक से जो बीसीए के नाम से चेक मिलेगा बह दूसरे खाता के दूसरा कैश किया जाएगा। बिहार क्रिकेट संघ के आपसी झगड़े के अनेक केसो की सुनवाई पटना हाई कोर्ट मे भी चल रही है।
बिहार क्रिकेट के नाम पर कुछ ठगों का गिरोह सक्रिय हो गया है जो संघ अपने खिलाडिय़ों का टीए डीए मैच फी का भुगतान नहीं किया है जबकि बीसीसीआई ने करीब 11 करोड़ रुपए का राशि मुहैया कराया था।
वह राशि कोरोना जैसे महामारी के समय भी खिलाडयि़ों को उनका वाजिब पैसा नही मिला लेकिन बीसीए मे अवैध तरीके से नियुक्ति कर करोड़ो रूपय उनके सैलरी पर खर्च कर दिया।
ादित्य वर्मा यहीं नहीं रूके बिहार क्रिकेट को बेचने का काम करने वाले को हम बता देना चाह रहे है कि कुछ सट्टेबाज लोग बिहार के भोले भाले खिलाडिय़ों के नाम पर बिहार के पावन धरती पर अपना जाल बिछाना चाह रहे है लेकिन सीएबी उनके किसी को भी सफल नही होने देगा।
2002 से 2018 तक लड़ाई लड़ के बिहार क्रिकेट को दुबारा पटरी पर लाने का काम मै और मेरे मित्रो ने किया है । बिहार क्रिकेट के नाम पर कोई भी गलत सौदा सीएबी नहीं करने देगे।