जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में एक बार फिर क्रिकेट पटरी से उतरता हुआ दिख रहा है। दरअसल भारत में क्रिकेट को चलाने वाली सबसे बड़ी संस्था बीसीसीआई एक बार फिर सुर्खियों में है।
दरअसल उनके द्वारा बनाये गए नियमों को खुलेआम चुनौती दी जा रही है। इसी तरह का पूरा खेल बिहार में भी देखने को मिल रहा है। उसी क्रिकेट को बचाने के लिए एक बार फिर अदित्य वर्मा सामने आये हैं। बिहार में क्रिकेट को बुलंद करना हो या फिर क्रिकेट को भ्रष्टाचार की दलदल से निकालना हो तो अदित्य वर्मा सबसे आगे होते हैं।
ताजा मामला है बिहार क्रिकेट को लेकर है। दरअसल बिहार में क्रिकेट को बहाल करने के लिए आदित्या वर्मा ने लंबी लड़ाई लड़ी है लेकिन उसी क्रिकेट की गरिमा को एक बार तार-तार हो रही है।
इतना नहीं बीसीसीआई जो संविधान क्रिकेट को लेकर बनाया है उसको भी ताक कर पर रखा जा रहा है। इस सब के बीच आदित्या वर्माने एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है।
उन्होंने बिहार राज्य क्रिकेट संघ और बीसीसीआई के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने जुबिली पोस्ट से बातचीत में कहा कि बिहार में क्रिकेट चलाने वाले लोग यानी बिहार राज्य क्रिकेट संघ खुलेआम बीसीसीआई के संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है लेकिन इसके बावजूद भारत में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था बीसीसीआई ने अपने मुंह पर ताला लटका रखा है।
बिहार राज्य क्रिकेट संघ के आका राकेश वर्मा और उनकी टीम मिलकर बिहार क्रिकेट को बर्बाद करने में लगी हुई। इसकी शिकायत वो बीसीसीआई से लगाातर कर रहे हैं।
आदित्य वर्मा ने बताया कि वो इस पूरे खेल को समझ चुके हैं ,इसलिए वो बीसीसीआई के अध्यक्ष रोजर बिन्नी और सचिव जय शाह से मिलकर बिहार क्रिकेट में चले रहे मामले को लेकर अवगत भी कराया लेकिन बीसीसीआई ने उसकी पर कोई एक्शन नहीं लिया है।
अब इस वजह से वो कोर्ट पहुंच गए और न्याय की गुहार लगायी है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका संख्या 752//23 किकेट एसोसिएशन आफ बिहार बनाम रौजर बिन्नी मामले की सुनवाई 17 मार्च 2023 को निर्धारित की गई।
सर्वोच्च न्यायालय में सिविल रिट याचिका बीसीसीआई बनाम सीएबी 4235/204 में वर्षों चली केस में लग्बी बहस के बाद बीसीसीआई ने एक नये संविधान का अनुपालन किया। उन्होंने पटना में प्रेस वार्ता कर बीसीसीआई और बिहार क्रिकेट पर जमकर निशाना साधा है।
आदित्या वर्मा ने कहा कि 09.08.208 में प्राप्त आदेश के तहत बिहार राज्य क्रिकेट संघ और अन्य गैर मान्यता प्राप्त राज्य संघों को खेलने का मौका मिला लेकिन आज उसी निबंधित बाइलाज (संविधान) का माखौल बिहार राज्य क्रिकेट संघ द्वारा लगातार उड़ाया जा रहा है। गैर संवैधानिक तरीके से निर्वाचित वर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी और उनके सहयोगी राज्य क्रिकेट संघ को संचालित कर रहे हैं। बीसीसीआई के द्वारा 7 सितम्बर 2022 को भेजे गए पर्यवेक्षक देवजीत सैकिया ने भी इसके संचालन में व्याप्त खामियों को उजागर किया है।
आदित्या वर्मा ने कहा किइस अलोकतांत्रिक व्यवस्था से निपटनेके लिए सर्वोच्च न्यायालय को इसके चुनाव में हस्तक्षेप करना पड़ा और उनके आदेश के तहत परिणाम घोषित किया गया। उसके बाद अध्यक्ष महोदय ने निर्वाचित सचिव अमित कुमार के कार्यक्षेत्र में बाधा उत्पनन किया और उन्हें कार्यभार नहीं सौंपा। यह कृत्य सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश का सरासर उल्लंघन है जिसके प्राप्त आदेश से निबंधित संविधान के तहत बिहार क्रिकेट संघ को मान्यता प्राप्त हुई थी।
बीसीए खुद बिहार सरकार निबंधन विभाग से सोसायटी एक्ट में निबंधित संस्था है और इसके रजिस्टर्ड संविधान में निर्वाचित सचिव को इसका कस्टोडियन और संघ के प्रबन्ध समिती के द्वारा लिये गये हर प्रस्तावना की संपुष्टि का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
वर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी अपनी पूर्वाग्रह से ग्रस्त मंशा और इरादतन संघ पर एकछत्र पकड़ बनाये रखने के लिए निर्वाचित सचिव को उसके अधिकार से तो वंचित रखा ही निबंधन विभाग को भी आज तक चुनाव की जानकारी नहीं दी।विभागीय मंत्री बिहार सरकार को इस संदर्भ में खगडय़िा जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष संजीव कुमार विधायक ने शिकायत की तो इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए पटना के जिलाधिकारी के निर्देश पर तीन सदस्यीय समिति बनाकर बीसीए के क्रियाकलापों और अनियमितताओं पर जांच शुरू करा दिया।
इस विषय पर जांच की जानकारी समय -समय पर मेल के द्वारा निर्वाचित सचिव अमित कुमार के द्वारा बीसीसीआई को दी गई लेकिन उसके बावजूद बीसीसीआई ने वर्तमान अध्यक्ष राकेश तिवारी की हरकतों पर पर्दा डाला और किसी प्रकार के हस्तक्षेप से अपने को दूर रखा।
इन सब बातों से निरंकुश होकर बिहार क्रिकेट संघ और उसके अध्यक्ष ने बीसीसीआई की स्वीकृत संविधान और उसके तर्ज पर बीसीए के सोसायटी एक्ट में निबंधित संविधान के अनुपालन को लगातार नजरंदाज किया। इन सब बातों को लेकर अदित्या वर्मा सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी जिस पर माननीय बेंच ने सुनवाई के लिए 17 मार्च 2023 की तिथि निर्धारित की है।