जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली से एक बार फिर बिहार क्रिकेट की मदद के लिए गुहार लगायी है। उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के झगडे की वजह से पिछले सत्र में कार्य करने वाले चयनकर्ताओं, कोच, फिजियो, ट्रेनर, मैनेजर, पिच क्यूरेटर, ग्राउंडसमैन के अलावे बिहार क्रिकेट टीम के जूनियर सीनियर पुरुष एवं महिला खिलाडिय़ों का भी पैसा अधर मे लटक गया है।
उन्होंने कहा कि बीसीसीआई फौरन इस मसले को हल करे और स्टाफ के तमाम लोगों को अभी पैसे मिले। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हर किसी को परेशानी उठानी पड़ रही है। कोरोना की वजह से खेलों की दुनिया पर ब्रेक लगा हुआ है।
उन्होंने बिहार क्रिकेट को अपने रड़ार पर लेते हुए कहा कि कोरोना काल में आर्थिक संकट सामने और ऐसे वक्त में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के फंड मे कड़ोर रुपये पड़े हुए है फिर भी बिहार क्रिकेट एसोसिएशसन के वर्तमान अध्यक्ष एवं उनके टीम के द्वारा पैसे के भुगतान को रोकना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से सभी लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और अगर बिहार क्रिकेट से जुड़े किसी भी खिलाड़ी या अन्य स्टॉफ के साथ किसी प्रकार की कोई अनहोनी पैसे के अभाव मे हो जाए तो इसकी जबाब देही क्या बीसीए लेगा?
सबसे आश्चर्यजनक यह है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरभ गॉगुली के कहने के बाद बीसीसीआई के जीएम सबा करीम के बोलने के बाद भी बिहार क्रिकेट के पिच केयूरेटर राजू वाल्स का बकाया राशि का भुगतान नही हुआ है।
उन्होंने कहा कि मैं बिहार क्रिकेट संघ के अधिकारियों से अपील कर रहा हूं कि बीसीसीआई जो भी अनुदान राशि बिहार क्रिकेट एसोसियेसन को प्राप्त हुआ है उसके खर्च का हिसाब बेव साइट पर डाल कर बीसीसीआई को भेज कर अगले अनुदान राशि के लिए पहल करे, अफसोस है कि पुडुचेरी जैसा छोटे से राज्य को बीसीसीआई से 30 करोड़ राशि मिल चुका है जनसख्या के हिसाब से देश के तीसरे बडे राज्य बिहार को 11 कड़ोर रुपये मिला था लेकिन सही वक्त पर बिहार क्रिकेट संघ ने खर्च का ऑडिट रिपोर्ट तथा पूरा ब्योरा अभी तक नही भेजा है।
आदित्या वर्मा ने कहा कि बिहार क्रिकेट फंड मे पैसा रखा है लेकिन खिलाडिय़ों के साथ टीम के अन्य लोगो के सैलरी को रोक कर रखा है, मैं इसका विरोध करता हूँ । लोकपाल के भुगतान पर भी मै अपनी आप्ती दर्ज कर न्याय सम्मत इसकी जांच की मांग कर रहा हू । सुप्रीम कोर्ट के आदेश 22 जनवरी 15 के आलोक मे बिहार क्रिकेट के एक प्रशंसक होने के नाते बिहार क्रिकेट के मिले पैसे का हिसाब बीसीए के वेव साइड पर देखना चाहता हूँ क्योकि बिहार क्रिकेट के विकास के लिए बीसीसीआई से मिले पैसे का दुरुपयोग हुआ है तो यह एक कठोर अपराध है।
बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरूण ठाकुर से भी बात की और कहा है कि जूनियर सीनियर खिलाडिय़ों के साथ साथ तमाम उन स्टॉफ के सैलरी के भुगतान के लिए गुहार लगायी है। उन्होने कहा कि बीसीसीआई तो देने के लिए बैठा है आप पहले के लिए पैसे का हिसाब हमको भेज दे हम दूसरा पैसा भेज देते है क्योंकि बीसीसीआई भी एक नियम कानून के तहत अपने राज्य क्रिकेट संघो को पैसे का भुगतान करता है ।