जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई बनाम सीएबी केस के याचिका कर्ता आदित्य वर्मा ने एक विज्ञप्ति जारी कर बीसीए के अध्यक्ष से पूछा है कि बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशसन को देने वाले विकास फंड को क्यों रोका है जबकि एक छोटा राज्य पुडुचेरी को अभी तक लगभग 30 करोड़ राशि का मदद बीसीसीआई से हो चुका है, बिहार के क्रिकेटरों के हित के लिए मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या इसके लिए अपनी ओर से कोई पहल आपने बीसीए के अध्यक्ष के नाते बीसीसीआई से किया है।
उन्होंने कहा कि मैं तो मीडिया के माध्यम से यही देख रहा हूं कि बीसीसीआई को थोक भाव मे मेल जा रहा है कि बिहार क्रिकेट संघ ने सचिव को बरखास्त कर संयुक्त सचिव को सचिव का कार्य दे दिया है। फिर भी आश्चर्यजनक रूप से बीसीसीआई अभी तक संजय कुमार को बीसीए सचिव मानते हुए अधिकारिक मेल संजय को ही भेज रहा है सब को पता है कि बीसीसीआई का आज के दिन मे बिहार क्रिकेट संघ मान्यता प्राप्त संस्था है फिर बिहार क्रिकेट के चाहने वाले प्रेमियों के बीच दो गुटों मे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को बीसीए के अध्यक्ष क्यों बांटने का काम करके लीगली क्या संदेश देना चाह रहे हैं।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा ने गांगुली को कहा कि बिहार क्रिकेट संघ भी बीसीसीआइ का मान्यता प्राप्त संस्था है इसलिए बीसीसीआइ अपने जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता।
उन्होंने बिहार क्रिकेट को लेकर कहा कि अगर ऐसा रहा तो 2004 , 2010 के प्रकरण के तहत 2020 मे भी पुरानी घटना की पुनरावर्ती ना हो जाए। बिहार क्रिकेट के हितैषी होने के नाते एक बार पुन: अपनी पुरानी बात को दोहराते हुए कह रहा हूं कि बीसीसीआई अविलम्ब बिहार क्रिकेट के उपर कोई कारवाई कर सकती है अगर यही हाल रहा तो बिहार क्रिकेट को चलाने वाले आपस मे अहम के लड़ाई मे उलझे रह जाएंगे और बीसीसीआई अपना निर्णय ले लेगा।
बीसीसीआई के दो वर्तमान पदाधिकारीयों ने हमे विश्वास दिलाया है कि बिहार के क्रिकेटरों के हित के वास्ते बीसीसीआई खुद आगे आ जाएगा। उन्होंने कहा कि एक बात मैं स्पष्ठï कर देना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई बनाम सीएबी केस मे 22 जनवरी 15 को अपने अहम फैसला मे कह दिया है कि बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट संघ के अधिकारियों के उपर एफआईआऱ या शिकायत किसी भी लीगल फोरम मे हो सकती है क्योंकि ये पदाधिकारी पब्लिक डयूटी करते है इसलिए इनके ऊपर प्रिवेंसन आफ करप्सन एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
पूर्व मे केरल क्रिकेट एसोसिएशसन के पदाधिकारीयों के ऊपर केरल हाई कोर्ट ने यह आदेश पारित किया था कि केरल क्रिकेट एसोसिएशसन के पदाधिकारीयों के गबन के आरोप मे कहा था कि इनके उपर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाए बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे केरल हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहरा दिया था।
बीसीसीआई अगर अपने राज्य क्रिकेट संघ को क्रिकेट संचालन के लिए सलाना 30 करोड़ राशि देती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पब्लिक मनी है और इसका गलत तरीके से संचालन करने वाले कड़ी से कड़ी सजा भुगतने के लिए तैयार रहे पूर्व मे भी गोवा क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सचिव एवं कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए जेल गए थे हाल मे दिल्ली क्रिकेट संघ के सचिव भी पैसे के गबन के आरोप मे जेल जा कर 2 महीने के बाद बेल पर निकले है।
उन्होंने कहा कि यह सुझाव उन सभी मित्रों के लिए है जो पद पर विराजमान हो कर संस्था को अपना निजी जागीर बना कर हुकुमत चलाना शुरू कर देते है। कोई भी सघ अपने सविधान के नियम के अनुसार कार्य करती है तो सब कुछ मे पारदर्शीता झलकती है ।