जुबिली न्यूज डेस्क
हाथरस मामले में गुरुवार को अचानक ट्विस्ट आ गया जब एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि एफएसएल की रिपोर्ट में पीडि़ता से रेप होने की बात सामने नहीं आई है।
एडीजी कुमार ने कहा कि रिपोर्ट सामने आने के बाद साबित होता है कि कैसे गलत जानकारी पर जातिगत तनाव पैदा करने की साजिश रची गई थी। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि उन लोगों पर कार्रवाई की जायेगी जिन्होंने जातिगत तनाव पैदा करने के लिए गलत सूचना फैलाने की कोशिश की।
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एडीजी के इस बयान पर सवाल उठ रहा है। विपक्षी दलों के साथ-साथ सामाजिक कार्यकताओं ने इसका विरोध किया है। एडीजी के कानूनी ज्ञान पर सवाल उठ रहा है।
लोगों का कहना है कि इस मामले में योगी सरकार कटघरे में है। इसका देशव्यापी विरोध हो रहा है। इसलिए पुलिस मामले के दबाने के लिए गलतबयानी कर रही है।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है, ”एडीजी(लॉ एंड ऑर्डर) ने निहायत ही घिनौनी बात कही है। वो कहते हैं रेप नहीं हुआ क्योंकि सिमन नहीं मिला। थोड़ा सा कानून बता दूं। धारा 375 का 2013 में संशोधन किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश बनाम बाबूनाथ 1994 केस में साफ तौर से कहा है कि सिमन का ना मिलना या लिंग का पेनेट्रेशन ना होना ही रेप नहीं है, उसकी कोशिश करना भी रेप है। शर्म कीजिए।”
वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने भी एडीजी प्रशांत कुमार के बयान को सरकार की गलतबयानी बताया है।
उन्होंने कहा कि एडीजी ने मात्र कतिपय साक्ष्यों की मनमानी व्याख्या करते हुए ऐसा निष्कर्ष निकाला है, जबकि पहले स्वयं पुलिस ने ही तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर धारा 376डी (गैंग रेप) की बढ़ोत्तरी की थी।
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नूतन ठाकुर ने कहा कि यदि पुलिस के पास पहले से ही पीडि़ता तथा उसकी मां का विडियो मौजूद था तो फिर मेडिकल रिपोर्ट के लिए रुके बिना रेप की धारा क्यों बढ़ाई गई।
उन्होंने कहा कि इससे साफ हे कि सरकार इस मामले में लीपापोती कर रही है। उन्होंने एडीजी द्वारा शासन को बदनाम करने वालों पर कार्यवाही करने के कथन को पुलिस राज की वापसी बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि वे इस मामले में सरकार एवं उसके अफसरों द्वारा अब तक की गयी अनियमितताओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लिए गए पीआईएल में भी प्रस्तुत करेंगी।
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