जुबिली न्यूज डेस्क
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारियों में जुटी हैं। सबसे बड़ा सवाल कि पंजाब में किसकी सरकार बनेगी? कांग्रेस फिर आयेगी या आप मारेगी बाजी?
फिलहाल एबीपी-सी वोटर सर्वे के अनुसार, पंजाब में कांग्रेस में जारी उठापठक के बीच आप बाजी मार सकती है। सर्वे के मुताबिक 32 प्रतिशत लोग आम आदमी पार्टी के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।
सर्वे की मानें तो अगले साल होने वाले चुनाव में पंजाब की जनता बदलाव के लिए वोट डाल सकती और कांग्रेस के लिए इस किले को बचाना मुश्किल हो सकता है।
सर्वे के अनुसार 32 फीसदी लोग जहां केजरीवाल की पार्टी आप के पक्ष में हैं, वहीं कांग्रेस के पक्ष में 27 प्रतिशत जनता खड़ी है। अकाली दल की बात करें तो 11 प्रतिशत लोगों को लगता है कि ये पार्टी सत्ता में आएगी, जबकि छह प्रतिशत लोगों को मानना है कि चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है।
इस सर्वे में एक और बात सामने आई है कि 21 फीसदी लोग अभी किसी के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ये 21 फीसदी लोग जिस साइड जाएंगे, सरकार उनकी बन सकती है।
सी वोटर के सर्वे में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। लब सरकार बदलने से संबंधित सवाल जनता से पूछा गया तो 66 फीसदी लोगों का कहना था कि वो सरकार बदलना चाहते हैं, हालांकि 34 प्रतिशत लोग वर्तमान कांग्रेस सरकार से खुश हैं और सरकार बदलने के पक्ष में नहीं हैं। यानि कांग्रेस अभी भी मजबूत स्थिति में दिख रही है।
सर्वे के अुनसार 21 फीसदी लोग अभी किसी के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ये 21 प्रतिशत लोग जिस साइड जाएंगे, सरकार उनकी बन सकती है।
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वहीं पिछले सर्वे में मुख्यमंत्री चन्नी की लोकप्रियता बरकरार थी और लोगों की पसंद में वो पहले पायदान पर थे। एबीपी के मुताबिक कांग्रेस की स्थिति चन्नी के सीएम बनने के बाद से थोड़ी ठीक हुई है। चन्नी का दलित होना, कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकता है।
मालूम हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 117 सीटों में से 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और सत्ता में वापसी करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री बनाया था।
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कुछ महीने पहले जब विधायकों की नाराजगी के साथ-साथ कई विवादों के कारण कैप्टन को मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा, तब चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने पंजाब की गद्दी सौंप दी थी।
इस चुनाव में किसान आंदोलन से निकले संगठन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कुछ दिन पहले ही 22 किसान संगठनों ने अपना राजनीति मोर्चा भी बनाने का ऐलान कर दिया है।