स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली/पटना। बिहार में क्रिकेट को लेकर चल रही रार कम होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल क्रिकेट के नाम पर यहां पर कुछ और खेल खेला जा रहा है। खिलाडिय़ों के हक को दबाने के लिए यहां पर क्रिकेट के साथ ही खेल कर दिया जा रहा है।
खिलाडिय़ों को आगे बढ़ाने के लिए जो पैसा आता है उसे खिलाडिय़ों पर नहीं बल्कि दूसरी चीजों पर खर्च किया जा रहा है। ऐसे में सूबे से कोई नया खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में नहीं पहुंचा पा रहा है।
एक दौर था जब बिहारी क्रिकेट भी राष्ट्रीय टीम में अपना दावा पेश करते थे लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चुका है। खिलाड़ी अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
आदित्य वर्मा ने उठायी मांग, बोले-बिहारी क्रिकेट का मारा जा रहा है हक
आदित्य वर्मा भी बिहारी क्रिकेट को हक दिलाने की बात करते हैैं। इसी वजह से वह लगताार बीसीसीआई पर दबाव बना रहे हैं। इतना ही नहीं वह कोर्ट का सहारा भी ले रहे हैं जिससे बिहार में क्रिकेट की स्थिति सुधरे।
इसी के तहत बिहार क्रिकेट के वर्तमान सचिव एवं सीओएम के पदाधिकारियों के कार्य शैली पर एतराज जताते हुए पटना हाई कोर्ट के वकिल जगन्नाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश एस ए वोबडे तथा न्यायधीश गवई के बेंच मे मेनशन कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशसन के पदाधिकारीयों के करतूतों से अवगत कराया तथा जल्द से जल्द बिहार क्रिकेट के वर्तमान स्वरूप पर आदेश जारी करने के लिए निवेदन किया । पूरी दलील को सुनने के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने बिहार क्रिकेट से जुड़े मामले को जल्द हि एक तारीख तय कर सुनने के लिए आदेश दिया तथा जगन्नाथ सिंह के मेनसनिंग को मंजूरी दे दिया । सीएबी के वकिल चन्द्रशेखर वर्मा भी सुप्रीम कोर्ट मे मौजूद थे।
क्यों उठ रहा बिहार क्रिकेट पर सवाल
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के अफसरों पर गांधी मैदान थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद से बिहार में क्रिकेट को लेकर रार तेज हो गई थी। दरअसल आरोप है कि बाहर के खिलाडिय़ों को रुपये लेकर बीसीए बिहार से टूर्नामेंट में खेलवा रहा है।
इसके बाद मुजफ्फरपुर क्रिकेट संघ के आलमगीर के बयान पर प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। इनमें बीसीए के अध्यक्ष गोपाल बोहरा, सचिव रविशंकर प्रसाद, चयनकर्ता नीरज कुमार के अलावा मनोज यादव, राकेश कुमार सिन्हा और डीपी त्रिपाठी शामिल हैं। हालांकि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रहा है।