Tuesday - 29 October 2024 - 8:52 AM

2018 में करीब 5000 करोड़पतियों ने देश छोड़ा

न्यूज डेस्क

एक ओर भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत से अमीरों के देश छोडऩे में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। एक हलिया रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में देश छोडऩे वाले अमीरों की संख्या के मामले में भारत दुनिया का तीसरा देश बन गया है।

इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, साल 2018 करीब 5000 करोड़पति या उच्च संपत्ति वाले व्यक्तियों (हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स) ने देश छोड़ दिया। यह संख्या देश के उच्च संपत्ति वाले व्यक्तियों की संख्या का कुल दो फीसदी हिस्सा है।

न्यू वल्र्ड वेल्थ की रपट के अनुसार 2017 में 7,000 करोड़पतियों ने अपना स्थायी निवास किसी और देश को बना लिया। वर्ष 2016 में यह संख्या 6,000 और 2015 में 4,000 थी।

अफ्रेशिया बैंक एंड रिसर्च फर्म न्यू वल्र्ड वेल्थ ने ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू, 2019 नामक इस रिपोर्ट को जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में देश छोडऩे वाले उच्च संपत्ति वाले व्यक्तियों की संख्या ब्रिटेन से भी अधिक रही जबकि ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के कारण राजनीतिक उठापटक के हालात बने हुए हैं।

अमीरों के पलायन के मामले में चीन पहले नंबर पर

पिछले तीन दशकों से ब्रिटेन बड़ी संख्या में अमीरों को आकर्षित करने के मामले में टॉप देशों में शुमार रहता था लेकिन ब्रेक्जिट के कारण पिछले दो सालों में हालात बदल गए हैं।

वहीं, अमीरों के पलायन के मामले में चीन पहले नंबर पर है जिसका कारण अमेरिका के साथ जारी उसकी व्यापारिक लड़ाई है। वहीं पिछले हफ्ते अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्क के कारण विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के लिए हालात और खराब हो सकते हैं।

दूसरे स्थान पर रूस है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी उतार-चढ़ाव के बीच रूसी अर्थव्यवस्था के फंसे होने के कारण यहां से अमीर पलायन कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दुनियाभर से पलायन करने वाले लोगों के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया पसंदीदा देशों में सबसे ऊपर हैं।

 

असमानता की खाई भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे गंभीर समस्या

रिपोर्ट में तेजी से बढ़ती असमानता की खाई का उल्लेख किया गया है। इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे गंभीर समस्या बताया गया है। दरअसल देश में उच्च संपत्ति वाले व्यक्तियों के पास देश की लगभग आधी संपत्ति है। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा जहां औसतन 36 फीसदी का है तो वहीं भारत में 48 फीसदी है।

हालांकि, इसके बावजूद अगले 10 सालों में भारत की कुल संपत्ति अच्छे पैमाने पर बढऩे के आसार हैं। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू, 2019 के अनुसार, संपत्ति पैदा करने के मामले में साल 2028 तक भारत ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं अगले 10 सालों में इस आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने में दिल्ली, बंगलूरू और हैदराबाद जैसे शहर अपना योगदान देंगे।

अमीरों का पलायन चिंता का विषय नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन से होने वाला अमीरों का पलायन चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि दोनों ही देश जितनी संख्या में अपने अमीरों को खो रहे हैं उससे अधिक संख्या में पैदा कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ ही जैसे ही इन देशों में रहन-सहन का स्तर सुधरेगा, हमें उम्मीद है कि अमीर लोग वापस आ जाएंगे।

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