जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए नये कृषि क़ानून धीरे-धीरे सरकार के गले की हड्डी बनते जा रहे हैं. इन कानूनों को रद्द कराने के लिए किसान 47 दिनों से दिल्ली बार्डर पर धरना दे रहे हैं.
सरकार से किसानों की नौ दौर की बेनतीजा बातचीत भी हो चुकी है. आज इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को फटकारा है और अब हरियाणा से इन्डियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर यह साफ़ कर दिया है कि 26 जनवरी तक अगर कृषि क़ानून वापस नहीं लिए जाते तो मेरी इसी चिट्ठी को मेरा त्यागपत्र समझ लिया जाए.
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पौत्र अभय चौटाला किसान परिवार से आते हैं और उनका परिवार परम्परागत रूप से किसानों की राजनीति ही करता रहा है. किसानों में भी इस बात को लेकर नाराजगी थी कि किसान आन्दोलन के समर्थन में चौटाला परिवार खुलकर सामने क्यों नहीं आ रहा है.
अब अभय चौटाला ने किसानों के साथ मजबूती से खड़े होने का फैसला करते हुए हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर कंडीशनल इस्तीफ़ा भेज दिया. चौटाला ने लिखा कि अगर 26 जनवरी तक सरकार कृषि क़ानून वापस नहीं लेती है तो मेरे इसी पत्र को मेरा इस्तीफ़ा समझ लिया जाए. अभय चौटाला ने लिखा कि जब किसानों की आवाज़ सरकार नहीं सुन रही है तो फिर विधानसभा में नेरी मौजूदगी का कोई मतलब ही नहीं है. उन्होंने लिखा है कि वह चौधरी देवी लाल के वारिस हैं.
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अभय चौटाला ने लिखा है कि किसान डेढ़ महीने से इस भयंकर ठंड और बारिश में खुले आसमान के नीचे डटे हैं लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. सरकार ने क़ानून बनाने से पहले किसानों से भी राय नहीं ली. सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लाभ के लिए फैसले ले रही है.
चौटाला ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा था कि किसानों का कर्जा माफ़ कर दिया जाएगा लेकिन किसान आज भी कर्जदार है. ऊपर से काले कृषि क़ानून भी बना दिए. उन्होंने कहा कि इसी देश की जनता ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है लेकिन इस देश के किसानों को सिर्फ तारीख पर तारीख ही दी जा रही है.