Friday - 28 March 2025 - 4:11 PM

लखनऊ की विरासत, तहज़ीब और स्वाद का अनूठा संगम: LCWW की यादगार हेरिटेज वॉक

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। लखनऊ कनेक्शन वर्ल्डवाइड (LCWW) ने अपनी विशिष्ट शैली में एक और यादगार रात्रि हेरिटेज वॉक का आयोजन किया। शाम 7:30 बजे चौक से रूमी दरवाजे तक इस ऐतिहासिक सफर में लखनऊ की विरासत, खानपान और गंगा-जमुनी तहज़ीब के रंग घुलते चले गए।

यात्रा की शुरुआत रूमी दरवाजे से हुई, जहां संगीत प्रेमी शोएब कुरैशी ने सभी का खुले दिल से स्वागत किया और इस वॉक को एक जश्न का रूप दे दिया। इस दौरान एक खास संयोग हुआ, जब समूह ने एक नवदंपति को अपनी नन्हीं बेटी पीहू का जन्मदिन मनाते देखा। राहुल पांडेय की गिटार की मधुर धुन पर सभी ने गीत गाए और नन्हीं पीहू को आशीर्वाद दिया, जिससे यह ऐतिहासिक स्थल एक नई यादगार से भर गया।

इतिहास, वास्तुकला और तहज़ीब से सजी हेरिटेज वॉक

इसके बाद वॉक का असली उद्देश्य सामने आया—लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों और उनकी विरासत को समझना। इतिहासकार आतिफ अंजर ने रूमी दरवाजे की वास्तुकला, सतखंडा की अधूरी कहानी, क्लॉक टावर और बारादरी के ऐतिहासिक महत्व पर गहरी जानकारी साझा की। इस सफर में लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक हर मोड़ पर महसूस की गई। चर्चा केवल ऐतिहासिक तथ्यों तक सीमित नहीं थी, बल्कि शहर के बदलते सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परिवेश पर भी रोशनी डाली गई।

लखनऊ के जायकों का सफर

इतिहास को आत्मसात करने के बाद बारी थी लखनऊ के मशहूर जायकों की। ग्रुप के कुछ सदस्यों ने नवाबी कबाब-पराठे, मटन कोरमा और बोटी कबाब का आनंद लिया, जबकि शाकाहारी सदस्यों ने तीखी टिक्की, खस्ता बताशे और चटपटे मटर का स्वाद लिया। यात्रा के अंतिम पड़ाव पर सभी मोइन की कश्मीरी चाय की दुकान पर पहुंचे, जहां कनाडा से आए अनिल शुक्ला ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा—
“ऐसी मुंह लगी है कि कमबख्त छूटती नहीं! यह पिछले तीन दिनों में मेरी इस टी स्टॉल की दूसरी विजिट है, फिर भी दिल नहीं भरता!”

संवेदनशीलता और इंसानियत की मिसाल

जब समूह घंटाघर के पास बावली की सीढ़ियों पर पहुंचा, तो संगीत का जादू बिखर गया। कुछ सदस्य गिटार पर धुन छेड़ने लगे और गीतों की गूंज से पूरा माहौल जीवंत हो गया। इसी दौरान वहां रानी नाम की एक युवती सीढ़ियों पर गहरी नींद में सोई मिली। संगीत की आवाज़ से पहले वह थोड़ा परेशान हुई, लेकिन धीरे-धीरे सहज हो गई। नीरजा शुक्ला की नजर उस पर पड़ी, उन्होंने पास जाकर उसका हाल-चाल पूछा। जब पता चला कि उसे मदद की जरूरत है, तो LCWW के सदस्यों ने तुरंत धनराशि जुटाकर उसके लिए भोजन एवं अन्य सहायता का प्रबंध किया।

गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक

इस पूरे सफर के दौरान समूह के सभी सदस्यों ने अपने मुस्लिम भाइयों को रमज़ान की मुबारकबाद दी और इस पावन अवसर पर खुशियां बांटीं। यह लखनऊ की तहज़ीब की वह मिसाल थी, जिसने इस सफर को और भी खास बना दिया।

 

संगीत, नृत्य और यादगार समापन

यात्रा के समापन पर जब सभी रूमी दरवाजे पर लौटे, तो राजेन्द्र सिंह पवार के सुरों ने ऐसा जादू बिखेरा कि पूरा समूह थिरकने लगा। पुराने बॉलीवुड गीतों की धुनों पर सभी ने नाचकर इस वॉक को यादगार बना दिया, मानो यह किसी शादी की बारात हो!

इस पूरे आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले सदस्यों में शामिल थे – रश्मि मिश्रा, राजीव सक्सेना, नवीन कोहली, मनीष भारतीय, प्रदीप शुक्ला, ममता श्रीवास्तव, सचिन तिवारी, बाल कृष्ण शर्मा, रामेश्वर दयाल गुप्ता, नीरजा शुक्ला, निधि भटनागर, प्रियंका पांडे, मीनू श्रीवास्तव, कविता मिश्रा, अनन्या मिश्रा, विभा शुक्ला, रेखा कोहली, छाया सक्सेना, बेबी श्रीवास्तव, अन्विता मनीष, अवनी शुक्ला, रिद्म पांडे और कई अन्य।

LCWW की हेरिटेज वॉक: तहज़ीब और भाईचारे की मिसाल

अनिल शुक्ला ने इस आयोजन को लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब की बेहतरीन मिसाल बताते हुए कहा—
“बड़ी संख्या में विभिन्न जाति-धर्मों के लोगों का इस आयोजन में उन्मुक्त भाव से शामिल होना, लखनऊ की तहज़ीब की एक शानदार मिसाल है।”
वहीं, वरिष्ठ सदस्य अजय मिश्रा ने कहा—
“आपसी भाईचारे, मोहब्बत, सौहार्द, प्रेम, इंसानियत और संवेदनशीलता का जीता-जागता उदाहरण है यह हेरिटेज वॉक।”

सिराज जैदी साहब ने तस्वीरें देखकर लिखा—
“फिर नींद से वो जान-ए-चमन जाग उठी है, परदेस में फिर याद-ए-वतन जाग उठी है।”

यह हेरिटेज वॉक सिर्फ इतिहास से जुड़ने का अवसर नहीं था, बल्कि यह रिश्तों को मजबूत करने, नई यादें संजोने और इंसानियत के जज़्बे को ऊंचा करने का भी मौका था। LCWW आगे भी इसी भावना के साथ ऐसे अनूठे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा, ताकि लखनऊ की विरासत और तहज़ीब को संजोया जा सके और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके।

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