जुबिली न्यूज डेस्क
स्कूल एक ऐसी जगह है जहां मां-बाप अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए भेजते हैं। बच्चा अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कार जिंदगी में आगे बढ़ने के तौर तरीके सीखे, उसका सर्वांगिण विकास हो, यही अधिकतर मां-बाप की इच्छा होती है। लेकिन क्या पता बच्चा एक दिन स्कूल जाए और कभी लौट के ही ना आए। सोचिये जिस मां-बाप ने उसे भविष्य की तैयारी के लिए जहां भेजा था वहीं उसकी कब्र बन जाए तो उस मां-बाप पर क्या बीतेगा। आइए इसी कड़ी में ऐसी एक घटना के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आपका भी दिल रो पड़ेगा।
दरअसल बिहार के एक स्कूल ने आज से 9 साल पहले 23 बच्चों की जान ले ली थी। जी हां आप साच रहे होंगे कोई स्कूल किसी बच्चे की जान कैसे ले सकता है, लेकिन जुबिली पोस्ट जिस घटना का जिक्र करने जा रहा है वो बिल्कुल सच है। दरअसल बिहार के सारण जिले के मशरख प्रखंड स्थित गंडामन गांव में आज भी मातम है। 9 साल पहले इसी गांव में मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। मामले में प्राचार्य की लापरवाही सामने आई थी। उनके खिलाफ केस चला और उन्हें सजा भी हुई, लेकिन इस आपराधिक लापरवाही को याद कर लोग आज भी सिहर उठते हैं। मध्याह्न भोजन योजना के निवाले से जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की बरसी 16 जुलाई शनिवार को मनाई गई। आज ही के दिन हुई इस घटना ने सबके दिलों को छलनी कर दिया था।
एक कंफ्यूजन ने ले ली 23 बच्चों की जान
बता दें कि 16 जुलाई 2013 को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे। रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा। सरसों तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था। बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था। रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा। उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की. मगर मीना देवी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को दिया गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की थी. जानकारी के मुताबिक बच्चों की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए मीना देवी ने डांटकर भगा दिया था। कुछ देर बाद ही बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गई। इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया।
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लोगों को इस बात का रहा मलाल
शनिवार को इस घटना की नौवीं बरसी पर बच्चों के स्मारक पर एक बार फिर सभी एकत्रित हुए और फूल-माला चढ़ा कर हवन पूजन कर श्रद्धांजलि दी। लोगों को इस बात का मलाल रहा कि सरकार इन बच्चों को इतनी जल्दी भूल गई। सरकार का एक अदना सा अधिकारी भी गांव में बच्चों को श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा। जबकि यह उन बच्चों की मौत की जिम्मेदार पूरी तरह से सरकार थी।
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