जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. निसंतान लोगों के लिए मध्य प्रदेश में आशा की एक शानदार किरण नज़र आयी है. राज्य के छह मेडिकल कालेजों में एक साथ आईवीएफ सेंटर शुरू किये जा रहे हैं और इन सभी केन्द्रों पर इलाज की पूरी सुविधा निशुल्क मिलेगी. दरअसल आईवीएफ तकनीक से बच्चा हासिल करना इतना महंगा है कि साधारण लोग इस बारे में सोच भी नहीं सकते. इस सुविधा से बच्चा हासिल करने के लिए ढाई से पांच लाख रुपये का खर्च आता है.
इंदौर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरी रॉय ने छह साल पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह अपील की थी कि आईवीएफ की सुविधा अगर निशुल्क कर दी जाए तो कमज़ोर तबके के निसंतान लोगों को भी औलाद का सुख मिल सकता है. उस समय हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार नहीं किया था लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से इस मामले में उचित कार्रवाई करने को कहा.
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय माँगी और अंतत: निशुल्क आईवीएफ का रास्ता साफ़ हो गया. निसन्तान लोगों को आईवीएफ की सुविधा इंदौर के अलावा भोपाल, ग्वालियर, रीवा, सागर और जबलपुर के मेडिकल कालेजों में निशुल्क मिलेगी. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस सम्बन्ध में आदेश भी जारी कर दिए हैं.
आईवीएफ तकनीक को ही टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है. इस तकनीक में महिला के अंडाणु और पुरुष के स्पर्म को मिलाकर रखा जाता है. जब भ्रूण तैयार हो जाता है तो उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है. इसके बाद वह भ्रूण नेचुरल तरीके से विकसित हो जाता है.
यह भी पढ़ें : सीतापुर में जनसम्पर्क के दौरान सपा-भाजपा समर्थकों के बीच हिंसक संघर्ष
यह भी पढ़ें : प्रेम अमरता में है क्षणभंगुरता में नहीं
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : ज़िन्दगी के रंगमंच से विदा नहीं होंगी लता मंगेशकर
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : 74 बरसों में कितना कुछ बदल गया बापू