Tuesday - 29 October 2024 - 10:59 AM

कर्नाटक की सियासत में बन रहा है नया फसाना

जुबिली न्यूज डेस्क

कर्नाटक की सियासत में इन दिनों एक नया फसाना बन रहा है, जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में खूब हो रही है। कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ भाजपा और जेडीएस के बीच दोस्ती परवान चढ़ रही है। अफवाह तो यहां तक है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता जेडीएस के बीजेपी में विलय के बारे में बातचीत करने लगे हैं।

इस फसाने में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन राजनीति में कोई फसाना कब सच्चाई बन जाए कहा नहीं जा सकता।

भाजपा और जेडीएस की परवान चढ़ती नई-नई दोस्ती को लेकर कांग्रेस चिंतित है। हालांकि कर्नाटक में भाजपा के सबसे बड़े नेता और राज्य के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और जेडीएस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने इस अफवाह को खारिज किया है।

इन नेताओं द्वारा इन अफवाहों के खारिज किए जाने के बावजूद चर्चा है कि दोनों के बीच समझौता तय है।

दरअसल दोनों दलों के बीच नयी दोस्ती की बात उस समय शुरू हुई, जब कर्नाटक विधान परिषद में जेडीएस नेता व उपसभापति धर्मे गौड़ा को कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने जबरन अध्यक्ष की कुर्सी से उतार दिया।

कांग्रेस नेताओं के इस रवैये से जेडीएस नेता नाराज हो गए थे। अब वह इसी अपमान का बदला लेने के लिए भाजपा की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। जेडीएस के नेताओं ने बीजेपी के साथ मिलकर कांग्रेस नेता प्रभात चंद्र शेट्टी को सभापति/अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला किया है।

यहीं से भाजपा और जेडीएस के बीच राजनीतिक दोस्ती फिर से शुरू हुई है। इन खबरों को और बल तब मिला जब इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेडीएस नेता कुमारस्वामी को जन्मदिन पर शुभकामना संदेश भेज दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर पर भी कुमारस्वामी को जन्मदिन की बधाई दी और श्रेष्ठ स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। इसके बाद से ऐसे कयास लगाये जाने लगे। कहा जाने लगा कि जेडीएस के नेता बीजेपी से विलय के बारे में बातचीत करने लगे हैं।

सरकार के फैसलों का समर्थन कर रही जेडीएस

सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से जेडीएस का रवैया राज्य सरकार के लिए बदल गया है। पिछले कुछ दिनों से जेडीएस कर्नाटक में बीजेपी सरकार के फैसलों का समर्थन कर रही है।

जेडीएस ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने में येदियुरप्पा सरकार की मदद की है। दरअसल कर्नाटक विधान परिषद में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है और बिना जेडीएस के समर्थन के वह कोई भी विधेयक पारित नहीं करवा सकती है।

पिछले दो सत्रों के दौरान जेडीएस ने येदियुरप्पा सरकार द्वारा पेश सभी विधेयक पारित करवाने में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से मदद की है। एक बिल लटका हुआ है। गो-हत्या पर निषेध लगाने वाला बिल। यह विधानसभा में पारित हो गया है, लेकिन बहुमत न होने की वजह से विधेयक के पारित न पाने की आशंका से भाजपा सरकार ने इसे विधान परिषद में पेश नहीं किया।

यह भी पढ़ें : राजनीतिक दलों के लिए इतना अहम क्यों हुआ उत्तर प्रदेश?

यह भी पढ़ें : अलविदा दादा मोतीलाल बोरा जी 

यह भी पढ़ें : छात्रों के विरोध के बीच एएमयू के प्रोग्राम में मोदी ने क्या कहा?

राह आसान करने के लिए भाजपा ने उठाया ये कदम

भाजपा भी जेडीएस का महत्व समझ रही है। उसे मालूम है कि बिना उसकी मदद के लिए वह कोई बिल पास नहीं करा पायेगी।  इसी दौरान भाजपा ने भी विधान परिषद में अपनी राह आसान करने के मकसद से अध्यक्ष प्रभात चंद्र शेट्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।

दरअसल इस प्रस्ताव पर चर्चा की अध्यक्षता खुद शेट्टी नहीं कर सकते थे, इस कारण से उपाध्यक्ष धर्मे गौड़ा पीठासीन हुए, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के शुरू होने से पहले ही कांग्रेसी विधायकों ने जबरदस्त हंगामा किया और धर्मे गौड़ा को अध्यक्ष पद की कुर्सी से जबरन खींच कर उतार दिया। फिर क्या, परिषद की कार्यवाही स्थगित हो गयी, लेकिन यहीं से जेडीएस और भाजपा के बीच दोस्ती की शुरुआत हो गई।

सियासी गलियारे में चर्चा है कि भाजपा और जेडीएस मिलकर शेट्टी को विधान परिषद के अध्यक्ष पद से हटाएंगे और फिर अपने साझा उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाएंगे।

सूत्रों का कहना है कि जेडीएस अपने नेता बसवराज होरट्टी को अध्यक्ष बनवाने की कोशिश में है तो वहीं भाजपा के नेता चाहते हैं कि अध्यक्ष उनकी पार्टी का हो और नया अध्यक्ष चुनने में जेडीएस उनका साथ दे।

फिलहाल इन सब के बीच इतना तय है कि भाजपा और जेडीएस में अब राजनीतिक दुश्मनी नहीं है। दोनों करीब आ चुके हैं। विलय की बात अफवाह हो सकती है, लेकिन राजनीतिक गठजोड़ हकीकत है।

सूत्रों के अनुसार दोनों दलों के बीच बात इतनी आगे बढ़ गई है कि येदियुरप्पा सरकार में जेडीएस के शामिल होने को लेकर भी बातचीत शुरू हो गयी है।

इस मामले में जेडीएस नेता बसवराज होरट्टी का कहना है कि कांग्रेस के रवैये ने जेडीएस को बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर मजबूर किया है। राजनीतिक गलियारे में एक अफवाह यह भी उड़ी कि जेडीएस के कई विधायक पार्टी से अलग होकर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें : टीएमसी में शामिल बीजेपी सांसद की पत्नी ने तलाक की धमकी पर क्या कहा?

यह भी पढ़ें : ममता को मात देने के लिए बीजेपी का ये है मास्टरप्लान?

येदियुरप्पा-कुमारस्वामी ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने अफवाहों का बाजार गर्म होता देखकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि जेडीएस ने विधान परिषद अध्यक्ष मामले में हमारा समर्थन करने का फैसला किया है। ना ही जेडीएस के विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं और न ही जेडीएस का बीजेपी में विलय हो रहा है।

वहीं इस मामले में जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने भी सफाई देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जेडीएस के बीजेपी में विलय का सवाल ही नहीं उठता है। भविष्य में भी जेडीएस का किसी पार्टी में विलय नहीं होगा। विलय का मतलब खुदकुशी है और जेडीएस ऐसा कभी नहीं करेंगी।

यह भी पढ़ें : मंदिर के बहाने चुनावी अभियान, एक तीर से दो शिकार करेगी वीएचपी

यह भी पढ़ें :पीके ने क्यों की इस ट्वीट को सेव करने की अपील

यह भी पढ़ें : क्या वाकई विपक्षी दल किसानों के साथ हैं? 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com