सुरेन्द्र दुबे
देश में एक बहुत रोमांचक किन्तु एक घटिया फिल्म पिछले ढाई महीने से पूरे देश में चल रही है। इस फिल्म का नाम है जस्टिस फार shushant, ये सुशांत कौन है। यह बताने की जरूरत नहीं है।
बच्चे बूढ़े सब जानते है । सब के मन में इस बेहतरीन कलाकार के लिए कल तक प्यार उमड़ रहा था। कल जब इसकी प्रेमिका को सुशांत को गांजा सप्लाई करने के आरोप में जेल भेज दिया गया तो तो इस देश के लोग यह जानकर हतप्रभ रह गए कि जिस सुशांत की फिल्म वे देख रहे थे वह कोई बड़ा कलाकार न होकर एक गंजेडी था।
ये भी पता चला कि जिस रिया चक्रवर्ती को जनता हत्यारिन समझ रही थी वह। वास्तव में गांजा बेचने के लिए फिल्म लाइन में आई थी। कल फिल्म का इंटरवल हो गया। अभी इस फिल्म में कई इंटरवल होने है क्योंकि भाजपा प्रोडक्शन कि यह फिल्म बिहार में होने वाले चुनाव तक चलनी है और इसके लिए टीवी के सभी स्क्रीन बुक कर लिए गए है।
हमारे देश में महिलाओं पर कितना अत्याचार होता है इसके लिए भाजपा प्रोडक्शन की यह फिल्म देखते जाइए।इश्क करने की गुनहगार रिया चक्रवर्ती एक तरफ है तो दूसरी तरफ हैं केंद्र सरकार की तीन बदनाम एजेंसियां।
ये है सीबीआई, ईडी और एन सी बी। पूरी केंद्र सरकार और दुनियां की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा। इनके साथ है बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार जो इस समय दुशासनकी भूमिका में हैं। मीडिया के बड़े एंकर व संपादक विलेन की भूमिका में हैं। ऐसा लगता है जैसे प्राण,प्रेम चोपड़ा,गुलशन व अमरीश पुरी सहित फिल्म इंडस्ट्री के सभी विलेन इस फिल्म में कास्ट कर दिए गए है।
यह भी पढ़ें : संसदीय लोकतंत्र के लिए प्रश्न काल क्यों है अहम?
यह भी पढ़ें : कंगना-सरकार की लड़ाई राम मंदिर और बाबर पर आई
यह भी पढ़ें : बिहार चुनाव : नीतीश को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने की तैयारी में राजद
महामारी के इस दौर में लोग भयंकर मनोरंजन का आनंद ले रहे हैं। इतनी मल्टी स्टारर फिल्म आज तक हमने नहीं देखी।फिल्म की शुरुआत में ऐसा लगता था कि हीरो के हत्यारे या उसे आत्म हत्या के लिए उकसाने वाले का पता लगाया जाएगा। पर जबसे पता चला है कि हीरो तो गांजेडी था दर्शक बहुत मायूस हो गए हैं।
दिन-दिन भर आंखे क्या ऐसी घटिया फिल्म के लिए फोड़ रहे थे। सबको मालूम है कि पूरे देश में गांजा बिकता है।तमाम पुलिस वालों व सफेद पोश लोगों की रोजी रोटी इसी से चलती है।
यह भी पढ़ें : शिवसेना ने अर्नब और कंगना पर साधा निशाना, लिखा- देशद्रोही और सुपारीबाज…
यह भी पढ़ें : चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश लद्दाख तक ही सीमित नहीं : रिपोर्ट
यह भी पढ़ें : कोरोना वैक्सीन : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने क्यों रोका ट्रायल?
इतनी जगजाहिर बात को जासूसी उपन्यास के रहस्य की तरह सुलझाया जा रहा है।ठीक है हम बेरोजगार हैं।हमारी नौकरी चली गई है।काम धंधे बंद हो गए हैं ।पर फिल्म तो अच्छी दिखा देते। पूरी फिल्म में नायिका रिया बिल्कुल अकेली है।पर बड़ी बहादुरी से लड़ रही है।
आखिर वो उस देश की बेटी है जहां कहा जाता है- बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ। बेटी को बचा तो कोई नहीं रहा पर अदालत में मुकदमा पहुंचने से पहले ही उसे फांसी पर चढ़ा देना चाहते हैं।
पूरा तंत्र बेटी के खिलाफ है।सिर्फ षड्यंत्र है।उसके प्यार को सरे आम रुसवा किया जा रहा है।ऐसा लगता है जैसे गांजा का धंधा करने के लिए उसने सुशांत को अपने प्यार में फंसाया। एक बात समझ में नहीं आती है कि जब सुशांत गांजे में ही टन्न रहता था तो इतनी बढ़िया फिल्में कैसे कर लेता था।
रिया अगर गांजा ही सप्लाई करती रहती थी तो फिल्में कब करती थी।एक बात तो तय है कि सुशांत की मौत को हत्या साबित करने और रिया को हत्यारिन साबित करने के लिए फिल्म हर हाल में बिहार चुनाव तक चलेगी।फिर फिल्म सिनेमा हाल से हट जाएगी। पर सुशांत के भोले चेहरे पर लगनेवाले दाग को कौन धोएगा।
समाज से अकेले लड़ने वाली रिया की कहानी सिर्फ एक कहानी बनकर रहजाएगी या उसका चीर हरण करने वाले लोगों को भी कोई तमाचा मारेगा।