जुबिली डेस्क
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर एक महिला द्वारा यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाए जाने से चिंतित सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों ने अपने आवासीय कार्यालयों के लिए पुरुष स्टाफ की मांग की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि उनसे कई जजों ने केवल पुरुष स्टाफ मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मांग पूरी करना मुश्किल है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ में 60 प्रतिशत महिलाएं हैं।
उधर, कुछ जजों ने महिला लॉ क्लर्क को सहायक के रूप में रखने को लेकर अपना डर जाहिर किया है। ये न्यायाधीश देर रात तक अपने आवासीय कार्यालय में काम करना पसंद करते हैं। मालूम हो कि इस मामले में सीजेआई की ओर से दुख जताए जाने के बाद सोमवार को कई जजों ने उनके साथ खड़े रहने की बात कही थी। यह मुलाकात करीब 20 मिनट चली।
बहस कर रास्ता निकाला जाना चाहिए
खबर के अनुसार इस मुद्दे पर सीजेआई गोगोई ने बाकी जजों से कहा है कि इस पर बहस कर रास्ता निकाला जाना चाहिए और भावी सीजेआई व सुप्रीम कोर्ट जजों को ऐसे ‘अभद्र हमलों’ से बचाने के लिए उपाय निकाले जाने चाहिए।
अखबार के अनुसार कई जजों ने इस मामले को लेकर उससे अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने उस आरोप को ‘अजीब’ बताया जिसके मुताबिक सीजेआई ने नौकरी से बर्खास्त पूर्व महिला कर्मचारी और उसके पति को दोपहर के खाने और अपने शपथ-ग्रहण समारोह पर बुलाया था।
इसे लेकर एक जज ने कहा, ‘सीजेआई ने सभी स्टाफ सदस्यों को उनके पति/पत्नी के साथ आमंत्रित किया था। अगर उसे (आरोप लगाने वाली महिला) भी बुलाया गया तो इसमें क्या खास बात है?’
कुछ जजों ने कहा कि वे ऐसी महिला लॉ क्लर्कों को जानते हैं जो जजों के आवासीय कार्यालयों में शोध और केस फाइलों से जुड़े महत्वपूर्ण काम करती हैं।
उन्होंने कहा, ‘सभी लॉ क्लर्क देर शाम तक काम करते हैं। वे एक तरह से परिवार का हिस्सा बन जाते हैं और अक्सर जजों के घरों में खाने के लिए बुलाए जाते हैं। क्या भविष्य में इसका प्रतिकूल माहौल देखने को मिलेगा? अब हम इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं। ‘