मल्लिका दूबे
गोरखपुर। लोकसभा चुनाव में यूपी के बस्ती मंडल में अपनी चुनावी खिचड़ी पकाने को कांग्रेस ने पड़ोसियों के चूल्हा से आग ली है। इस मंडल की तीनों संसदीय सीटों पर कांग्रेस ने सपा और भाजपा से आये नेताओं को प्रत्याशी बनाकर भाजपा और गठबंधन को तगड़ी चुनौती पेश करने की भरसक कोशिश की है। इनमें से दो प्रत्याशी जहां स्थानीय राजनीति के धुरंधर रहे हैं तो तीसरे प्रत्याशी चिकित्सा जगत से राजनीति की दुनिया में प्रैक्टिस करने उतरे हैं।
बस्ती मंडल में दूसरे दलों के नेताओं के बूते कांग्रेस ने बनाया लड़ाई का त्रिकोण
बस्ती मंडल में तीन संसदीय सीटे हैं। बस्ती, डुमरियागंज और संतकबीरनगर। इनमें से बस्ती सीट पहले कांग्रेस ने बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी के हवाले कर रखी थी लेकिन स्थानीय स्तर पर कांग्रेसियों के प्रबल विरोध के बाद पार्टी ने अपने स्टैंड में बदलाव किया। इस बीच टिकट न मिलने से अपनी पार्टी सपा से खार खाए पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के रूप में उसे मजबूत विकल्प मिल गया। राजकिशोर सिंह को टिकट मिलने के साथ ही कांग्रेस यहां त्रिकोणीय लड़ाई में आ गयी है। इसी तरह संतकबीरनगर में कांग्रेस ने वहां के जिलाध्यक्ष परवेज खान को टिकट दिया था।
परवेज का टिकट घोषित होते ही वहां भी विरोध की ज्वाला भड़क गयी। इस बीच सपा के स्थानीय कद्दावर पूर्व सांसद भालचंद यादव भी अपनी पार्टी से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस को यहां भी भालचंद का आक्रोश खुद के लिए विकल्प रूप में दिखा। भालचंद यादव की कांग्रेसी प्रत्याशिता के साथ ही संतकबीरनगर में कांग्रेस खुद को मजबूत लड़ाई में मानने लगी है। डुमरियागंज में बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी आने और पीस पार्टी के डा. अय्यूब की मौजूदगी को भांप कांग्रेस को एक ब्रााह्मण प्रत्याशी की तलाश थी। कई नामों पर विचार करने के बाद पार्टी ने यहां जिले के मशहूर हड्डी रोग विशेषज्ञ और रविवार तक भाजपाई रहे डा. चंद्रेश कुमार उपाध्याय को प्रत्याशी बनाकर खुद को लड़ाई के त्रिकोण में शामिल कर लिया है।
कांग्रेस की चाल से गठबंधन और भाजपा दोनों पशोपेश में
चुनाव के चरम पर पहुंचने के साथ ही बस्ती मंडल में कांग्रेस के नए चुनावी चाल से सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा दोनों पशोपेश की स्थिति में हैं। बस्ती संसदीय सीट पर राजकिशोर सिंह के कांग्रेस प्रत्याशी होने से भाजपा और बसपा दोनों के प्रत्याशी अपने वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका से हलकान हैं।
राजकिशोर सिंह तीन बार विधायक रहने के साथ सपा शासन में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और उनका निजी प्रभाव भी ठीकठाक माना जाता है। इसी तरह संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र में पूर्व सांसद भालचंद यादव के कांग्रेस प्रत्याशी होने से गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका की चर्चा शुरू हो गयी है। इस बीज बीजेपी से नाराज वोटरों को भी भालचंद नए विकल्प के रूप में नजर आ सकते हैं। डुमरियागंज में कांग्रेस ने डा. चंद्रेश कुमार उपाध्याय के रूप में ब्रााह्मण प्रत्याशी उतारकर बीजेपी के खेमे में हलचल मचाने की कोशिश की है।