पॉलिटिकल डेस्क
कैसरगंज की लोकसभा सीट बहराइच जिले की दूसरी लोकसभा सीट है। बहराइच जिले की सीमाएं उत्तर पूर्व में नेपाल के बर्दिया और उत्तर पश्चिम में बांके जिले से मिलती है। बहराइच जिला पश्चिम में सीतापुर और लक्ष्मीपुर, दक्षिण-पश्चिम में हरदोई, दक्षिण-पूर्व में गोंडा और पूर्व में श्रावस्ती जिले से घिरा हुआ है। कैसरगंज अपने प्रसिद्ध खुरमे की वजह से भी जाना जाता है।
आबादी/ शिक्षा
कैसरगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत यूपी की पांच विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें पयागपुर, कैसरगंज, कर्नलगंज, तरबगंज और कतरा बाजार शामिल है।
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 34,87,731 लाख है जिनमें पुरुषों की आबादी 18,43,884 और महिलाओं की आबादी 16,43,847 है। यहां का लिंगानुपात 892 है जबकि यूपी का लिंगानुपात 912 है।
पूरी आबादी में 14.6 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति और 0.32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति है। यहां की साक्षरता दर 38.4 प्रतिशत है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,711,967 है जिनमें महिला मतदाता 783,633 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 928,269 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
संसदीय सीट कैसरगंज के गठन के बाद से चुनाव तो 15 बार हुए हैं जिसमें अब तक सबसे अधिक पांच बार सपा का कब्जा रहा है। तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी तो दो बार भाजपा जीत का परचम लहराने में सफल रही है। वहीं तीन बार भारतीय जनसंघ प्रत्याशी भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुका है।
1957 में कैसरगंज लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भगवादीन मिश्रा ने जीत हासिल की लेकिन 1962 के चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी ने इस सीट पर कब्जा किया। 1967 और 1971 के आम चुनाव में भारतीय जनसंघ ने जीत हासिल की।
इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में 1977 में जनता पार्टी ने यहां जीत हासिल की लेकिन अगले दो चुनाव 1980 और 1984 में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां अपना खाता खोला। अगले चुनाव में भी बीजेपी यह सीट बचाने में कामयाब रही।
1996 में यहां समाजवादी पार्टी के टिकट पर बेनी प्रसाद वर्मा ने जीत हासिल की और लगातार चार बार विजयी रहे। 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर बृजभूषण शरण सिंह ने जीत हासिल की। 2014 में बृज भूषण शरण सिंह ने सपा छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया और उन्होंने चुनाव में विजय पताका फहराया।