पॉलिटिकल डेस्क
चंदौली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र यूपी की 80 लोकसभा सीटों में 76वें नंबर की सीट है। गंगा नदी के पूर्वी और दक्षिणी दिशा की ओर बसा ‘चंदौली जिला’ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक जिला है।
यह जिला कई पुरानी धरोहरों के प्रमाण खुद में समेटे हुए है। सकलडीहा तहसील का रामगढ़ गांव अघोरियों के गुरु बाबा कीनाराम की जन्मभूमि है। कीनाराम ने अपना पूरा जीवन मानव जीवन की सेवा में लगा दिया। अब उनकी जन्मस्थली हिन्दुओं का पवित्र स्थल बन चुका है।
महान काशी राज्य का हिस्सा होने के कारण चंदौली का इतिहास भी वही है जो वाराणसी जिले का और काशी राज्य का है। कर्मनाशा नदी चंदौली और बिहार के बीच विभाजन सीमा का काम करती है।
आबादी/ शिक्षा
चंदौली संसदीय सीट में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है जिसमें मुगल सराय, अजगरा, सकलडीहा, शिवपुर, सैयदरजा शामिल है। इस विधानसभा सीटों में अजगरा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
2011 की जनगणना के मुताबिक चंदौली की जनसंख्या 19,52,756 लाख है जिनमें पुरुषों की संख्या 10,17,905 लाख और महिलाओं की संख्या 9,34,597 लाख है।
उत्तर प्रदेश के लिंगानुपात 912 के मुकाबले चंदौली में प्रति 1000 पुरुषों पर 918 महिलायें है। चंदौली की औसत साक्षरता दर 60.15 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 68.72 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 50.83 प्रतिशत है। चंदौली मुख्य रूप से हिन्दू बाहुल्य इलाका है।
यहां की 88.48 प्रतिशत आबादी हिन्दू और 11.01 प्रतिशत आबादी मुस्लिम धर्म में आस्था रखती है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,593,133 है जिसमें महिला मतदाता 705,123 और पुरुष मतदाताओं की संख्या
887,892 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
यह जिला पहली बार 20 मई 1997 में अस्तित्व में आया मगर 2004 में इसे मायावती सरकार ने वापस वाराणसी में मिला दिया। सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई और 17 जून 2004 को यह दोबारा अस्तित्व में आया। अस्तित्व में आने के बाद से ही यह सीट सामान्य श्रेणी की रही है।
पहली बार यहां 1957 में चुनाव हुए जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह विजयी रहे थे लेकिन 1959 में हुए उपचुनाव मेें सोशलिस्ट पार्टी के प्रभु नारायण सिंह ने जीत दर्ज की। 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में बालकृष्ण सिंह (कांग्रेस), 1967 में निहाल सिंह ( संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी) और 1971 में कांग्रेस के सुधाकर पाण्डेय निर्वाचित हुए।
1977 में नरसिंह यादव ने भारतीय लोकदल और 1980 में निहाल सिंह ने चंदौली में जनता पार्टी की जीत का खाता खोला। 1984 में चंदा त्रिपाठी कांग्रेस की टिकट पर निर्वाचित होकर यहां की पहली महिला सांसद बनी।
1989 में जनता दल के कैलाश नाथ सिंह यादव ने कांग्रेस को हराकर इस सीट पर कब्जा किया। 1991 से 1998 भारतीय रत्न मौर्या चंदौली से लगातार तीन बार जीतकर लोकसभा पहुंचे । 1999 में समाजवादी पार्टी के जवाहर लाल जायसवाल ने भाजपा का विजयरथ रोक सपा को इस सीट पर पहली बार विजयी बनाया।
कभी जनता दल की टिकट पर चंदौली के सांसद रहे कैलाशनाथ सिंह यादव 2004 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर और आनंद रत्न मौर्या सपा के टिकट पर चुनाव लड़े। कैलाशनाथ सिंह ने सपा प्रत्याशी को हराया और सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे।
2009 में सपा के रामकिशुन ने अपनी पार्टी की पिछली हार का बदला लिया और बसपा के प्रत्याशी को हराकर चंदौली के सांसद बने। वर्तमान में यहां से भाजपा के महेन्द्रनाथ पाण्डेय सांसद है।