जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली। सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल को आर्थिक संकट से उबारने की कवायद के तहत बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी हो सकती है।
कंपनी बोर्ड ने इसके लिए कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की पेशकश संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार मंत्रालय इस प्रस्ताव पर कैबिनेट नोट लाने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मांगने की तैयारी कर रहा है।
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार बीएसएनएल और एमटीएनएल के 50 साल से ऊपर के कर्मचारियों के लिए वीआरएस की सिफारिश होगी। बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख जबकि एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी हैं। पांच साल में एमटीएनएल के 16,००० और बीएसएनएल के 50% कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे।
दोनों दूरसंचार कंपनियों ने कर्मचारियों को गुजरात मॉडल के आधार पर वीआरएस देने का आग्रह किया है। इसके तहत कर्मचारियों को पूरा किए गए प्रत्येक सेवा वर्ष के लिये 35 दिन और बचे हुए सेवा वर्ष के लिए 25 दिन का वेतन की पेशकश की जाएगी।
एमटीएनएल के मामले में वेतन अनुपात 90 प्रतिशत पहुंच गया है जबकि बीएसएनएल के मामले में यह करीब 60 से 70 प्रतिशत है। इस योजना में कितने कर्मचारी आएंगे, अधिकारी ने कहा कि 50 साल से ऊपर के सभी कर्मचारी आएंगे।
90 प्रतिशत तक पहुंचा वेतन खर्च
बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिये वीआरएस से 6,365 करोड़ रुपये तथा 2,120 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ सकता है। विभाग वीआरएस के वित्त पोषण के लिए 10 साल का बांड जारी करेगा।
कंपनी बांड का भुगतान भूखंडों को बाजार से चढ़ाने से प्राप्त पट्टा आय के जरिए करेगी। हालांकि, इसके तहत कितने कर्मचारी आएंगे इसका वास्तविक संख्या का निर्धारण अभी नहीं किया गया है।
रोजगार की चाह वालो का ये हाल
पिछले पांच साल के दौरान रोजगार की तलाश करने वाले तमाम परिवारों में से 64 फीसदी परिवारों के कम से कम सदस्य को रोजगार पाने में ही सफलता हासिल हो पायी है।
सर्वे के अनुसार सबसे ज्यादा 60.4 फीसदी रोजगार प्राइवेट सेक्टर में पैदा हुआ, जबकि 21.2 फीसदी गवर्नमेंट सेक्टर और 5.2 फीसदी ने रोजगार में ही अपनी जीविका हासिल की है। देश के प्रमुख उद्योग मंडल पीएचडी द्वारा किये गए एक सर्वे में सामने आया है।
‘धीमा जहर’ दे रही है सरकार
बीएसएनएल की स्थिति सुधारने के लिए 54 हजार कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने की तैयारी से जुड़ी खबरों को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी सरकार बीएसएनएल एवं एमटीएनएल को ‘धीमा जहर’ दे रही है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि निजी संचार कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ‘सूटबूट वाली सरकार’ भारत में संचार क्रांति की सूत्रधार रहीं इन दोनों सरकारी कंपनियों को बंद करने की साजिश कर रही है।
सुरजेवाला ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी जी का मॉडल सरकारी धन से अपने पूंजीपति मित्रों को बचाना और सरकारी कंपनियों को डुबाना है। हमारा आरोप है कि प्रधानमंत्री दशकों से फायदे में चली आ रही कंपनियों को बंद करने की साजिश कर रहे हैं।