शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है….!!
मोहब्बत का सफ़र कहाँ आसान होता है|
हासिल हो,तो ख़िलाफ़ सारा जहाँन होता है||
सिसकियों की ईंट पर, हादसों की खिड़कियां
शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है||
ज़िन्दगी निकलती है ,जब समंदर की सैर पर
तब वहीँ नाँव से लिपटा,कोई तूफ़ान होता है||
जिसने जिस्म बेच दिया हो बच्चे की भूख पर
उस माँ के अंदर ,ज़िंदा कोई इंसान होता है ||
खो जाती है अक्सर,पिता के दवा की पर्चियां
जिन बेटोँ के पास,करोड़ो का सामान होता है||
